उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बड़ी राहत देते हुए घरौनी को कानूनी मान्यता प्रदान करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश ग्रामीण आबादी अभिलेख विधेयक-2025 को मंजूरी दी गई। इस विधेयक के लागू होने से ग्रामीणों को अपनी संपत्ति के लिए वैध दस्तावेज मिलेगा, जिसके आधार पर वे बैंकों से आसानी से ऋण प्राप्त कर सकेंगे और संपत्ति हस्तांतरण (नामांतरण) की प्रक्रिया को सरलता से पूरा कर सकेंगे।
घरौनी क्या है और क्यों है महत्वपूर्ण?
घरौनी, जिसे ग्रामीण आवासीय अभिलेख भी कहा जाता है, ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति का आधिकारिक दस्तावेज है। केंद्र सरकार की स्वामित्व योजना के तहत 8 अक्टूबर 2020 को उत्तर प्रदेश आबादी सर्वेक्षण एवं अभिलेख संक्रिया नियमावली-2020 लागू की गई थी। इस योजना के अंतर्गत, भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा ड्रोन तकनीक का उपयोग कर ग्रामीण क्षेत्रों के घरों और जमीन का सर्वेक्षण किया जा रहा है।
अब तक, उत्तर प्रदेश के 90,573 गांवों में से 68,000 से अधिक गांवों में 1,06,46,834 घरौनियां तैयार की जा चुकी हैं, जिनमें से 1,01,31,232 घरौनियां ग्रामीणों को वितरित की गई हैं। ये दस्तावेज ग्रामीणों को उनकी संपत्ति का स्पष्ट स्वामित्व प्रदान करते हैं, जिससे संपत्ति विवादों में कमी आने की उम्मीद है।
(खास जानकारी एक नजर में)
घटना |
विवरण |
विधेयक का नाम |
उत्तर प्रदेश ग्रामीण आबादी अभिलेख विधेयक-2025 |
मंजूरी |
उत्तर प्रदेश कैबिनेट से मिली |
प्रभाव |
घरौनी को कानूनी दस्तावेज के रूप में मान्यता, बैंक लोन संभव होगा |
शामिल सुधार |
संपत्ति नामांतरण, inheritance, विक्रय, त्रुटि सुधार |
वर्तमान स्थिति |
1.06 करोड़ घरौनियां बन चुकीं, 1.01 करोड़ वितरित |
बैंक ऋण और संपत्ति हस्तांतरण में आसानी
नए विधेयक के तहत, घरौनी अब संपत्ति के स्वामित्व का वैध प्रमाण होगी। इसके आधार पर ग्रामीण निम्नलिखित सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे:
- बैंक ऋण: ग्रामीण अपनी घरौनी का उपयोग कर बैंकों से घर बनाने, मरम्मत करने या अन्य वित्तीय जरूरतों के लिए आसानी से ऋण प्राप्त कर सकेंगे।
- नामांतरण और वरासत: उत्तराधिकार, रजिस्ट्री, उपहार पत्र, सरकारी नीलामी, न्यायिक आदेश, वसीयत, या पारिवारिक समझौते के आधार पर संपत्ति का नामांतरण आसानी से किया जा सकेगा। निर्विवाद मामलों में राजस्व निरीक्षक, और अन्य मामलों में तहसीलदार या नायब तहसीलदार नाम दर्ज करने के लिए अधिकृत होंगे।
- लिपिकीय त्रुटियों का सुधार: घरौनी में नाम, पता, या मोबाइल नंबर जैसी गलतियों को आसानी से ठीक किया जा सकेगा।
यह कदम ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और संपत्ति से संबंधित विवादों को कम करने में महत्वपूर्ण साबित होगा। ग्रामीणों को औपचारिक बैंकिंग प्रणाली से जोड़कर उनकी वित्तीय आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।
घरौनी और जमीन रिकॉर्ड से जुड़ी गाइड
- अपने गांव का नाम स्वामित्व योजना की लिस्ट में तुरंत चेक करें – पूरी लिस्ट यहां देखें
- उदाहरण खतौनी ऑनलाइन कैसे निकालें – स्टेप बाय स्टेप देखें
- उत्तराधिकार / वरासत ऑनलाइन अप्लाई करने का आसान तरीका यहां जानें
- दाखिल खारिज की स्थिति ऑनलाइन चेक करें – तुरंत रिजल्ट पाएं
स्वामित्व योजना और ड्रोन सर्वेक्षण की भूमिका
स्वामित्व योजना के तहत ड्रोन सर्वेक्षण के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्तियों का सटीक नक्शा तैयार किया जा रहा है। यह प्रक्रिया पारदर्शी और तकनीकी रूप से उन्नत है, जिससे ग्रामीणों को उनकी संपत्ति का सटीक रिकॉर्ड प्राप्त हो रहा है। सर्वेक्षण के बाद, यदि किसी ग्रामीण को नक्शे पर आपत्ति नहीं होती, तो उसी के आधार पर घरौनी तैयार की जाती है। यह प्रक्रिया न केवल संपत्ति के स्वामित्व को स्पष्ट करती है, बल्कि ग्रामीणों को कानूनी और वित्तीय लाभ भी प्रदान करती है।
ग्रामीणों के लिए एक नई शुरुआत
उत्तर प्रदेश सरकार का यह कदम ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए एक नई शुरुआत है। घरौनी को कानूनी मान्यता मिलने से न केवल ग्रामीणों को वित्तीय सुविधाएं मिलेंगी, बल्कि संपत्ति से जुड़े विवादों में भी कमी आएगी। यह विधेयक जल्द ही विधानमंडल में पेश किया जाएगा, जिसके बाद इसे अधिनियम के रूप में लागू किया जाएगा।
यूपी सरकार का यह प्रयास ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यदि आप इस योजना के तहत अपनी घरौनी प्राप्त करना चाहते हैं या इसके बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं, तो अपने नजदीकी राजस्व विभाग कार्यालय से संपर्क करें।