आपने हाल ही में लॉन्च हुई पीएम धन-धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन के बारे में सुना है? अगर हाँ, तो यह जानकारी आपके लिए है। भारत, जो दुनिया का सबसे बड़ा दाल उत्पादक और उपभोक्ता देश है, फिर भी दालों के आयात पर निर्भर है। इस निर्भरता को खत्म करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने दलहन आत्मनिर्भरता मिशन की शुरुआत की है। 11 अक्टूबर 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के पूसा कैंपस में इस मिशन का शुभारंभ किया, जिसका उद्देश्य 2030-31 तक भारत को दाल उत्पादन में पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाना है। इस ब्लॉग में हम इस मिशन के उद्देश्यों, लाभों, और किसानों पर इसके प्रभाव को विस्तार से समझेंगे।
दलहन आत्मनिर्भरता मिशन क्या है?
दलहन आत्मनिर्भरता मिशन एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसे केंद्रीय बजट 2025-26 में घोषित किया गया और 1 अक्टूबर 2025 को मंजूरी दी गई। यह मिशन 2025-26 से 2030-31 तक लागू रहेगा, जिसमें 11,440 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। इसका मुख्य लक्ष्य दाल उत्पादन को बढ़ाकर आयात पर निर्भरता को खत्म करना और किसानों की आय में सुधार करना है।
प्रमुख उद्देश्य
- उत्पादन वृद्धि: 2030-31 तक दाल उत्पादन को 350 लाख टन तक बढ़ाना।
- खेती क्षेत्र विस्तार: दालों की खेती को 310 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाना।
- उपज में सुधार: प्रति हेक्टेयर उपज को 1,130 किलोग्राम तक ले जाना।
- आयात में कमी: विशेष रूप से तुअर (अरहर), उड़द, और मसूर दालों के आयात को शून्य करना।
- किसान सशक्तिकरण: न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर 100% खरीद सुनिश्चित करना और 88 लाख मुफ्त बीज किट वितरित करना।
मिशन के प्रमुख लाभ
- किसानों की आय में वृद्धि:
- सरकार तुअर, उड़द, और मसूर की 100% खरीद MSP पर करेगी, जिससे किसानों को उचित मूल्य मिलेगा।
- 126 लाख क्विंटल प्रमाणित बीजों का वितरण और 1,000 प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना से मूल्य संवर्धन होगा।
- पोषण सुरक्षा:
- दालें भारतीय आहार में प्रोटीन का प्रमुख स्रोत हैं। मिशन से दालों की उपलब्धता बढ़ेगी, जिससे कुपोषण में कमी आएगी।
- मृदा स्वास्थ्य:
- दालें नाइट्रोजन फिक्सेशन के माध्यम से मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती हैं, जो टिकाऊ खेती को बढ़ावा देती हैं।
- आर्थिक लाभ:
- आयात पर निर्भरता कम होने से विदेशी मुद्रा की बचत होगी और ग्रामीण रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
पीएम धन धान्य योजना का योगदान
पीएम धन धान्य कृषि योजना, जिसे 24,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ शुरू किया गया है, दलहन आत्मनिर्भरता मिशन का पूरक है। यह योजना 100 कम उत्पादकता वाले जिलों में कृषि अवसंरचना को मजबूत करने, सिंचाई सुविधाओं को बेहतर करने, और आसान ऋण उपलब्ध कराने पर केंद्रित है। यह योजना निम्नलिखित तरीकों से दलहन मिशन को समर्थन देती है:
- सिंचाई और भंडारण सुविधाएं: हर खेत तक सिंचाई पहुंचाने और आधुनिक गोदामों का निर्माण।
- फसल विविधीकरण: दालों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए तकनीकी और वित्तीय सहायता।
- कृषि अवसंरचना कोष: कोल्ड स्टोरेज और प्रोसेसिंग यूनिट्स की स्थापना।
यह एक महत्वाकांक्षी योजना है जिसकी लागत ₹24,000 करोड़ है। इसका मुख्य उद्देश्य देश के 100 ऐसे जिलों का समग्र विकास करना है जहाँ अभी भी प्रति हेक्टेयर उत्पादन कम है या कृषि के लिए पर्याप्त सुविधाएँ नहीं हैं।
यह भी जानें: किसानों के लिए अन्य महत्वपूर्ण योजनाएँ
- पीएम धन-धान्य कृषि योजना के लिए कैसे आवेदन करें, इसकी पूरी प्रक्रिया यहाँ समझें।
- अपनी फसल को ऑनलाइन बेचने और बेहतर दाम पाने के लिए e-NAM रजिस्ट्रेशन की पूरी जानकारी देखें।
- क्या आप मुफ्त बीज योजना के बारे में जानते हैं? फ्री बीज योजना के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कैसे करें, यहाँ पढ़ें।
योजना के तहत मिलने वाले मुख्य फायदे:
- हर खेत होगा सिंचित: इस योजना का सबसे बड़ा फोकस सिंचाई की सुविधाओं को बढ़ाना है। सरकार का लक्ष्य है कि चयनित 100 जिलों में हर खेत तक पानी पहुँचे, जिससे फसल की उत्पादकता में भारी वृद्धि हो।
- आसान ऋण और भंडारण सुविधाएं: किसानों को खेती के लिए आसान शर्तों पर ऋण मिलेगा। साथ ही, फसल कटने के बाद उसके सुरक्षित भंडारण के लिए आधुनिक गोदाम और कोल्ड स्टोरेज भी बनाए जाएँगे।
- फसल विविधीकरण (Crop Diversification): किसानों को अपनी आय बढ़ाने के लिए गेहूं और चावल के अलावा अन्य लाभदायक फसलें जैसे फल, सब्जियां, और दलहन उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
- तकनीकी सहायता: नई कृषि तकनीकों, मशीनीकरण और आधुनिक खेती के तरीकों को अपनाने में किसानों की मदद की जाएगी।
मिशन की रणनीति
- उन्नत बीज और तकनीक:
- उच्च उपज वाली, कीट-प्रतिरोधी, और जलवायु-अनुकूल दाल किस्मों का विकास।
- साथी पोर्टल के माध्यम से बीज प्रमाणीकरण और ट्रेसबिलिटी सुनिश्चित करना।
- क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण:
- नीति आयोग की सिफारिशों के आधार पर, चावल की बाड़ और अन्य उपयुक्त भूमि पर दालों की खेती को बढ़ावा देना।
- प्रमुख दलहन फसलों पर फोकस:
- तुअर, उड़द, और मसूर पर विशेष ध्यान, जो भारत में सबसे अधिक उपभोग की जाती हैं।
- प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा):
- नेफेड और एनसीसीएफ के माध्यम से MSP पर खरीद सुनिश्चित करना।
- फसलोत्तर प्रबंधन:
- 1,000 प्रसंस्करण और पैकेजिंग इकाइयों की स्थापना, प्रत्येक के लिए 25 लाख रुपये की सब्सिडी।
यह योजना 11 मंत्रालयों की 36 योजनाओं को एक साथ जोड़कर काम करेगी, ताकि किसानों को अलग-अलग विभागों के चक्कर न लगाने पड़ें और उन्हें सभी लाभ एक ही जगह मिल सकें।
दलहन आत्मनिर्भरता मिशन: भारत बनेगा दालों का बादशाह?
भारत दुनिया में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और आयातक (importer) है। लेकिन, हम अपनी पूरी मांग को पूरा करने के लिए अभी भी विदेशों पर निर्भर हैं। इसी निर्भरता को खत्म करने के लिए दलहन आत्मनिर्भरता मिशन शुरू किया गया है।
मिशन के मुख्य लक्ष्य:
- लक्ष्य और समय-सीमा: इस मिशन का लक्ष्य वर्ष 2030-31 तक भारत को दाल उत्पादन में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाना है। इसके लिए ₹11,440 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है।
- फोकस की गई दालें: मिशन का विशेष फोकस तीन प्रमुख दालों – तुअर (अरहर), उड़द और मसूर – पर है, जिनका भारत में बड़े पैमाने पर उपभोग होता है।
- उत्पादन में बढ़ोतरी: मिशन के तहत, दालों की खेती का रकबा 35 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाया जाएगा। उन्नत बीज और कृषि तकनीकों के इस्तेमाल से उत्पादन को 350 लाख टन तक ले जाने का लक्ष्य है।
किसानों को मिलने वाले फायदे (MSP और खरीद):
यह मिशन किसानों को दाल की खेती के लिए प्रोत्साहित करने हेतु कई लाभ देता है। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि पंजीकृत किसानों से उनकी दालों की 100% खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर की जाए। इससे किसानों को अपनी फसल का उचित दाम मिलने की गारंटी मिलेगी और वे बाजार के उतार-चढ़ाव से सुरक्षित रहेंगे।
खेती में तकनीक और सुविधाएँ
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- खेती के लिए महंगे यंत्र खरीदने के बजाय सरकारी सब्सिडी पर कृषि यंत्र कैसे बुक करें, यहाँ जानें।
ये योजनाएं कैसे काम करेंगी?
इन योजनाओं की सफलता के लिए एक खास रणनीति अपनाई गई है।
- कन्वर्जेंस (Convergence): 11 अलग-अलग विभागों की 36 योजनाओं को एक साथ मिलाकर किसानों को लाभ पहुँचाया जाएगा। इससे सरकारी कामों में तेजी आएगी और पारदर्शिता बढ़ेगी।
- 'साथी' पोर्टल (SATHI Portal): इस मिशन के तहत, 'साथी' नामक एक केंद्रीकृत पोर्टल का उपयोग किया जाएगा। यह पोर्टल बीजों के प्रमाणीकरण, लाइसेंसिंग और आपूर्ति श्रृंखला पर नज़र रखेगा, जिससे किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज समय पर मिल सकेंगे।
- क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण: नीति आयोग की सिफारिशों के अनुसार, यह योजना क्लस्टर (समूह) बनाकर काम करेगी। यानी, एक ही क्षेत्र में एक ही तरह की फसल की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे किसानों को सामूहिक रूप से बेहतर लाभ मिल सके।
चुनौतियां और समाधान
हालांकि मिशन के लक्ष्य महत्वाकांक्षी हैं, कुछ चुनौतियां भी हैं:
- आयात नीतियों का प्रभाव: जीरो इंपोर्ट ड्यूटी के कारण बाजार में दालों की कीमतें कम हो रही हैं, जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है।
- समाधान: सरकार ने MSP पर 100% खरीद की गारंटी दी है, जो किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करेगी।
- उत्पादकता में कमी: कुछ जिलों में कम उत्पादकता एक समस्या है।
- समाधान: पीएम धन धान्य योजना के तहत 100 कम उत्पादकता वाले जिलों में विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
- जागरूकता की कमी: कई किसानों को मिशन के लाभों की जानकारी नहीं है।
- समाधान: कृषि विज्ञान केंद्रों और FPOs के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं।
मिशन का भविष्य और प्रभाव
दलहन आत्मनिर्भरता मिशन न केवल दाल उत्पादन को बढ़ाएगा, बल्कि यह भारत को एक टिकाऊ और आत्मनिर्भर कृषि अर्थव्यवस्था की ओर ले जाएगा। यह मिशन विकसित भारत 2047 के विजन के साथ संरेखित है, जो सतत विकास, फसल विविधीकरण, और किसान सशक्तिकरण पर जोर देता है। इसके अतिरिक्त, यह मिशन ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा देगा और पोषण सुरक्षा को मजबूत करेगा।
पशुपालन और अन्य कृषि परियोजनाएँ
निष्कर्ष:
पीएम धन-धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन एक नई सुबह की शुरुआत है। ये योजनाएं सिर्फ उत्पादन बढ़ाने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि किसानों की आय बढ़ाने, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और भारत को पोषण के मामले में आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखती हैं।
हालांकि, कुछ चुनौतियां भी हैं, जैसे आयात नीति और बाजार की अस्थिरता। लेकिन अगर सरकार और किसान मिलकर काम करें, तो यह मिशन न केवल सफल होगा, बल्कि भारत को कृषि क्षेत्र में एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करेगा। दलहन आत्मनिर्भरता मिशन और पीएम धन धान्य योजना भारत के किसानों के लिए एक नई उम्मीद की किरण हैं। ये योजनाएं न केवल किसानों की आय बढ़ाएंगी, बल्कि भारत को दालों के आयात से मुक्त कर एक आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने में मदद करेंगी। यदि आप एक किसान हैं या इस मिशन के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो साथी पोर्टल (seedtrace.gov.in) पर जाएं और अपने क्षेत्र के कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें।
अगर आप एक किसान हैं, तो इन योजनाओं के बारे में अपने स्थानीय कृषि विभाग से संपर्क करें और इसका लाभ उठाएं।
(FAQs)
- पीएम धन-धान्य कृषि योजना के लिए कौन पात्र है?
यह योजना मुख्य रूप से उन 100 जिलों के किसानों के लिए है जिन्हें कम उत्पादकता वाले जिलों के रूप में चुना गया है।
- दलहन आत्मनिर्भरता मिशन में किन दालों पर फोकस है?
इस मिशन में मुख्य रूप से तुअर (अरहर), उड़द और मसूर पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- क्या किसानों को MSP पर दाल बेचने की गारंटी मिलेगी?
हाँ, जो किसान दलहन मिशन के तहत पंजीकृत हैं, उनसे सरकार MSP पर खरीद सुनिश्चित करेगी।
- मैं इन योजनाओं के बारे में और जानकारी कहाँ से प्राप्त कर सकता हूँ?
आप अपने जिले के कृषि विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), या सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर जाकर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।