उत्तर प्रदेश में आवारा गोवंश की समस्या किसानों और आम जनता के लिए एक बड़ी चुनौती रही है। ये गोवंश न केवल फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि सड़कों पर दुर्घटनाओं का कारण भी बनते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना शुरू की है। यह योजना न केवल गोवंश के संरक्षण और देखभाल को बढ़ावा देती है, बल्कि पशुपालकों और किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करके उनकी आय बढ़ाने का अवसर भी देती है।
मुख्यमंत्री निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना क्या है?
- फसलों की सुरक्षा: आवारा गोवंश से खेतों को होने वाले नुकसान को कम करना।
- देसी नस्लों का संरक्षण: स्वदेशी गोवंश जैसे गिर, साहिवाल, और थारपारकर की नस्लों को बढ़ावा देना।
- कुपोषण में कमी: पोषण मिशन के तहत कुपोषित परिवारों को दूध देने वाली गायें प्रदान करना।
- आय का स्रोत: पशुपालकों को गोवंश पालन और दूध बिक्री से अतिरिक्त आय प्रदान करना।
मुख्यमंत्री निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना में कौन कर सकता है आवेदन?
इस योजना का लाभ उठाने के लिए आपको निम्नलिखित पात्रता मानदंडों को पूरा करना होगा:
- निवास: आवेदक उत्तर प्रदेश का स्थायी निवासी होना चाहिए।
- पशुपालन का अनुभव: गोवंश पालने का अनुभव या ज्ञान होना आवश्यक है।
- स्थान की उपलब्धता: गोवंश के लिए उपयुक्त स्थान (शेड, चारा, पानी की व्यवस्था) होनी चाहिए।
- बैंक खाता: आवेदक का आधार से लिंक किया हुआ सक्रिय बैंक खाता होना चाहिए।
- प्राथमिकता: दुग्ध सहकारी समितियों से जुड़े व्यक्तियों और प्रशिक्षित पशु मित्रों/पैरावेट्स को प्राथमिकता दी जाती है।
- गोवंश की संख्या: एक व्यक्ति को अधिकतम 4 गोवंश दिए जा सकते हैं (नवजात बछड़ों की गणना नहीं की जाती)।
नोट: योजना के तहत सौंपे गए गोवंश को बेचना या छोड़ना सख्त मना है। इसका उल्लंघन करने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
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गोवंश सहभागिता योजना के फायदे?
यह योजना पशुपालकों और किसानों के लिए कई लाभ प्रदान करती है। आइए इसके प्रमुख लाभों पर नजर डालें:
- आर्थिक सहायता: प्रत्येक गोवंश के लिए ₹50 प्रतिदिन (₹1500 प्रति माह) की राशि डीबीटी के माध्यम से पशुपालक के बैंक खाते में जमा की जाती है। चार गोवंश पालने पर यह राशि ₹6000 मासिक हो सकती है।
- दूध से अतिरिक्त आय: दूध देने वाली गायों से दूध बेचकर पशुपालक अपनी आय को और बढ़ा सकते हैं।
- फसलों की सुरक्षा: आवारा गोवंश को गोशालाओं या पशुपालकों के पास स्थानांतरित करने से खेतों को नुकसान कम होता है।
- कुपोषण में कमी: कुपोषित परिवारों को दूध उपलब्ध कराने से पोषण स्तर में सुधार होता है।
- पर्यावरणीय लाभ: गोवंश के गोबर और मूत्र का उपयोग जैविक खेती और गोबर पेंट जैसे उत्पादों में किया जा सकता है।
- रोजगार सृजन: यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करती है।
उदाहरण: यदि आप चार गोवंश पालते हैं, तो आपको मासिक ₹6000 की सहायता मिलेगी, और यदि आप दूध बेचते हैं (औसतन 5 लीटर प्रति गाय, ₹50/लीटर), तो आपकी अतिरिक्त आय ₹7500 मासिक हो सकती है। इस तरह, आपकी कुल आय ₹13,500 मासिक तक हो सकती है।
मुख्यमंत्री गोवंश सहभागिता योजना आवेदन प्रक्रिया: रजिस्ट्रेशन कैसे करें ?
मुख्यमंत्री निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना में आवेदन करने के लिए आप ऑनलाइन अभी आवेदन नही कर सकते हैं इसके लिए आपको ऑफलाइन आवेदन करना होगा, नीचे पूरी प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से समझाया है:
ऑफलाइन आवेदन प्रक्रिया
- आवेदन पत्र प्राप्त करें: अपने नजदीकी खंड विकास अधिकारी (BDO) या पशु चिकित्सा अधिकारी से मुख्यमंत्री निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना आवेदन पत्र प्राप्त करें। [आप चाहें तो इस पोस्ट में नीचे फॉर्म लिंक दिया गया है यहाँ से भी डाउनलोड कर सकते हैं ]
निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना फॉर्म PDF डाउनलोड करें
मुख्यमंत्री निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना में आवेदन करने के लिए आपको आधिकारिक आवेदन पत्र की आवश्यकता होगी। इस योजना का फॉर्म आप आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं। नीचे दिए गए लिंक से निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना फॉर्म PDF डाउनलोड करें और आवेदन प्रक्रिया शुरू करें:
डाउनलोड लिंक: निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना फॉर्म PDF डाउनलोड करें
फॉर्म भरने के लिए निर्देश:
- फॉर्म डाउनलोड करें और प्रिंट कर लें।
- आवश्यक विवरण जैसे नाम, आधार नंबर, बैंक खाता विवरण, और गोवंश की संख्या सावधानीपूर्वक भरें।
- फॉर्म के साथ आधार कार्ड, वोटर आईडी, बैंक पासबुक, और निवास प्रमाण पत्र की फोटोकॉपी संलग्न करें।
- भरे हुए फॉर्म को ग्राम प्रधान से सत्यापित करवाकर नजदीकी पशु चिकित्सा अधिकारी या जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय में जमा करें।
आवेदन पत्र भरें: फॉर्म में निम्नलिखित जानकारी दर्ज करें:
- नाम, पता, और संपर्क विवरण
- आधार नंबर, वोटर आईडी, या राशन कार्ड नंबर
- बैंक खाता विवरण (IFSC कोड सहित)
- गोवंश की संख्या (अधिकतम 4)
- परिवार का विवरण
दस्तावेज संलग्न करें: निम्नलिखित दस्तावेजों की फोटोकॉपी संलग्न करें:
- आधार कार्ड
- वोटर आईडी या राशन कार्ड
- बैंक पासबुक
- पासपोर्ट साइज फोटो
- निवास प्रमाण पत्र
- प्रमाणन: भरे हुए फॉर्म को ग्राम प्रधान, अधिशासी अधिकारी, या नगर आयुक्त से हस्ताक्षरित करवाएं।
- जमा करें: फॉर्म को जिला मजिस्ट्रेट (DM) या पशु चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में जमा करें।
- सत्यापन: संबंधित अधिकारी आपके आवेदन और दस्तावेजों की जांच करेंगे।
- गोवंश की सुपुर्दगी: स्वीकृति के बाद, आपको गोशाला से गोवंश सौंपा जाएगा, और प्रत्येक गोवंश के कान में टैग नंबर होगा।
नोट: फॉर्म जमा करने से पहले सुनिश्चित करें कि सभी जानकारी सही और पूर्ण है। गलत या अधूरी जानकारी के कारण आवेदन रद्द हो सकता है। अधिक जानकारी के लिए पशुपालन विभाग की वेबसाइट http://www.animalhusb.upsdc.gov.in पर जाएं।
ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया
- आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं: उत्तर प्रदेश पशुपालन विभाग की वेबसाइट पर जाएं।
- योजना का चयन करें: होमपेज पर Scheme सेक्शन में मुख्यमंत्री निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के लिंक पर क्लिक कर और जानकारी ले सकते हैं शासनादेश और दिशानिर्देशों से जब ऑनलाइन प्रकिया शुरू होगी तो यहीं से होगी अभी ऑनलाइन नही है ।
- आवेदन पत्र डाउनलोड करें: शासनादेश या आवेदन पत्र डाउनलोड करें।
- फॉर्म भरें और जमा करें: आवश्यक जानकारी भरकर फॉर्म को ऑनलाइन अपलोड करें या प्रिंट करके ऑफलाइन जमा करें।
- संपर्क करें: अधिक जानकारी के लिए हेल्पलाइन नंबर 0522-2740482 या 1800-180-5224 पर संपर्क करें।
नोट: ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया अभी पूरी तरह से लागू नहीं हुई है। नवीनतम अपडेट के लिए वेबसाइट चेक करें या स्थानीय पशुपालन कार्यालय से संपर्क करें।
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गोवंश की सुपुर्दगी निगरानी और नियम: क्या ध्यान रखें?
एक बार आपका आवेदन स्वीकृत हो जाने के बाद, आपको गोशालाओं से गोवंश सुपुर्द किए जाएंगे। यह प्रक्रिया भी नियमों के तहत होती है: योजना के तहत सौंपे गए गोवंश की देखभाल और निगरानी के लिए सख्त नियम बनाए गए हैं:
- गोवंश की पहचान: जिस भी इच्छुक व्यक्ति को गोवंश दिए जाएंगे, उनकी पूरी जानकारी अधिकारियों द्वारा भरी जाएगी। यदि कोई किसान चार गायें लेता है, तो संबंधित अधिकारी प्रत्येक गाय का टैग नंबर, उम्र, लिंग, रंग और यह दूध दे रही है या नहीं, जैसी पूरी जानकारी दर्ज करेंगे। प्रत्येक गोद लिए गए पशु के कान में टैग लगाया जाएगा ताकि उसकी पहचान और बाद में निगरानी की जा सके।
- कहां मिलेंगे गोवंश: आप जनपद के सभी विकासखंड क्षेत्र में स्थित पशु चिकित्सक से संपर्क कर सकते हैं और उनसे निराश्रित आश्रय स्थल पर पल रही दुधारू गोवंश को लेने के लिए बात कर सकते हैं। गोवंश गोशाला से ही मिलेंगे।
- निरंतर निगरानी: सरकार इस योजना के तहत पाले गए पशुओं की मॉनिटरिंग भी करवाएगी। जिलाधिकारी और मुख्य पशु चिकित्साधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि योजना का लाभ उठा रहा व्यक्ति पशुओं का ठीक से ख्याल रख रहा है या नहीं।
- अविक्रेय और न छोड़ने का नियम: सुपुर्द किए गए गोवंश को किसी भी परिस्थिति में बेचा नहीं जा सकता है और न ही उन्हें दोबारा खुला छोड़ा जा सकता है। यह नियम योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए महत्वपूर्ण है।
उदाहरण: बदायूं जिले में अब तक 7,362 गोवंश पशुपालकों को सौंपे जा चुके हैं, और नियमित निगरानी से यह सुनिश्चित किया गया है कि गोवंश की देखभाल ठीक हो रही है।
योजना की सफलता: कुछ प्रेरक उदाहरण
यह योजना कई पशुपालकों के लिए आय का एक स्थायी स्रोत बन चुकी है। आइए कुछ उदाहरण देखें:
- रामू, बदायूं: रामू ने चार गोवंश अपनाए और मासिक ₹6000 की सहायता प्राप्त की। इसके अलावा, उन्होंने दो गायों से दूध बेचकर मासिक ₹5000 की अतिरिक्त आय अर्जित की।
- पोषण मिशन, लखनऊ: कुपोषित परिवारों को 3,619 दूध देने वाली गायें सौंपी गईं, जिससे उनके बच्चों का पोषण स्तर सुधरा।
- जैविक खेती, मेरठ: कुछ किसानों ने गोवंश के गोबर का उपयोग जैविक खाद और गोबर पेंट बनाने में किया, जिससे उनकी आय में और इजाफा हुआ।
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना उत्तर प्रदेश के किसानों और पशुपालकों के लिए एक अनूठा अवसर है। यह न केवल आवारा गोवंश की समस्या का समाधान करती है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और कुपोषण को कम करने में भी मदद करती है। यदि आप इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, तो तुरंत अपने नजदीकी पशुपालन विभाग या गोशाला से संपर्क करें और आवेदन करें।
क्या आप इस योजना का लाभ उठाने के लिए तैयार हैं? आज ही आवेदन करें और गोवंश संरक्षण के साथ-साथ अपनी आय बढ़ाएं!
पशुधन से जुड़ी अहम योजनाएं – लाभ उठाएं
- 👉 मंगला पशु बीमा योजना राजस्थान – पशुओं का बीमा मुफ्त – अपने पशुओं को दें सरकारी सुरक्षा।
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