सोमनाथ मंदिर का इतिहास: प्रथम ज्योतिर्लिंग की कहानी, दर्शन समय और यात्रा गाइड

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भगवान शिव के भक्तों के लिए सोमनाथ मंदिर केवल एक तीर्थ स्थल नहीं, बल्कि आस्था, इतिहास और संस्कृति का जीवंत प्रतीक है। गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में अरब सागर के किनारे बसा सोमनाथ मंदिर का इतिहास न केवल पौराणिक कथाओं से भरा है, बल्कि यह भारत के उत्थान और पतन की कहानी भी बयां करता है। यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रथम स्थान रखता है और इसे चंद्रदेव द्वारा स्थापित माना जाता है।

इस लेख में हम आपको सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा, इसके ऐतिहासिक महत्व, आक्रमणों और पुनर्निर्माण की गाथा, त्रिवेणी संगम के महत्व, और दर्शन समय जैसी उपयोगी जानकारी देंगे। तो, आइए इस पवित्र यात्रा को शुरू करें और भगवान सोमनाथ के चरणों में श्रद्धा अर्पित करें।

सोमनाथ मंदिर का इतिहास: प्रथम ज्योतिर्लिंग की कहानी, दर्शन समय और यात्रा गाइड

पौराणिक कथा: चंद्रदेव और सोमनाथ ज्योतिर्लिंग

सोमनाथ मंदिर की कहानी पौराणिक ग्रंथों, विशेष रूप से स्कंद पुराण के प्रभास खंड में वर्णित है। कथा के अनुसार, दक्ष प्रजापति की 27 पुत्रियों का विवाह चंद्रदेव से हुआ था। लेकिन चंद्रदेव अपनी पत्नी रोहिणी को अधिक प्रेम करते थे, जिससे अन्य 26 पुत्रियां उपेक्षित महसूस करती थीं। क्रोधित दक्ष ने चंद्रदेव को श्राप दिया कि उनका तेज (प्रकाश) धीरे-धीरे नष्ट हो जाएगा।

श्राप से मुक्ति के लिए चंद्रदेव ने प्रभास तीर्थ (वर्तमान सोमनाथ) में भगवान शिव की कठोर तपस्या की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर महादेव ने चंद्रदेव को श्राप से मुक्ति दी और कहा, “तुम्हारी शक्तियां कृष्ण पक्ष में घटेंगी और शुक्ल पक्ष में बढ़ेंगी।” इस प्रकार, चंद्रमा की 16 कलाएं पूर्णिमा पर पूर्ण होती हैं।

चंद्रदेव ने कृतज्ञता में सोने का मंदिर बनवाया और भगवान शिव यहाँ सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हुए। “सोम” यानी चंद्रमा और “नाथ” यानी स्वामी, इसीलिए इस मंदिर को सोमनाथ कहा जाता है। यह कथा भक्तों में विश्वास जगाती है कि भगवान शिव की कृपा से हर संकट दूर हो सकता है।

सोमनाथ मंदिर का इतिहास: एक अनन्त गाथा

सोमनाथ मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है। स्कंद पुराण के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना लगभग 7 करोड़ 99 लाख वर्ष पहले त्रेता युग में हुई थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्रदेव ने अपने ससुर दक्ष प्रजापति के श्राप से मुक्ति पाने के लिए यहां भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी।

चंद्रदेव और सोमनाथ की कथा

दक्ष प्रजापति की 27 पुत्रियों का विवाह चंद्रदेव से हुआ था, लेकिन चंद्रदेव केवल रोहिणी को अधिक प्रेम करते थे। इससे क्रुद्ध होकर दक्ष ने चंद्रदेव को श्राप दिया कि उनकी चमक धीरे-धीरे क्षीण हो जाएगी। दुखी चंद्रदेव ने प्रभास तीर्थ पर भगवान शिव की तपस्या की। शिवजी ने प्रसन्न होकर उन्हें श्राप से मुक्ति दी और चंद्रदेव को पूर्णिमा पर अपनी 16 कलाओं के साथ चमकने का वरदान दिया। तब से इस स्थान को सोमनाथ (सोम यानी चंद्रमा के नाथ) कहा जाता है।

आक्रमण और पुनर्निर्माण की गाथा

सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण इसकी गौरवशाली कहानी का एक दुखद हिस्सा हैं। मंदिर की अपार समृद्धि ने इसे विदेशी आक्रांताओं का निशाना बनाया। कुछ प्रमुख आक्रमण इस प्रकार हैं:

  • 725 CE: सिंध के मुस्लिम सूबेदार अल जुनैद ने मंदिर को नष्ट किया।
  • 1026 CE: महमूद गजनी ने मंदिर पर हमला किया, ज्योतिर्लिंग को अपवित्र किया और खजाने को लूट लिया।
  • 1297 CE: अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति नुसरत खान ने मंदिर को तोड़ा।
  • 1394 CE: गुजरात के सुल्तान मुजफ्फर शाह ने मंदिर को लूटा।
  • 1706 CE: मुगल शासक औरंगजेब ने मंदिर को ध्वस्त करवाया।

इन आक्रमणों के बावजूद, हिंदू भक्तों का विश्वास अडिग रहा। प्रत्येक बार मंदिर का पुनर्निर्माण हुआ। 1783 में महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने पास में एक नया मंदिर बनवाया, जो आज भी पूजा का केंद्र है।

आधुनिक मंदिर का पुनर्निर्माण सरदार वल्लभभाई पटेल के संकल्प से 1951 में पूरा हुआ। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया। यह पुनर्निर्माण भारतीय संस्कृति और आस्था की विजय का प्रतीक है।

. धार्मिक यात्रा और दर्शन से जुड़ी जानकारी

सोमनाथ मंदिर का इतिहास: प्रथम ज्योतिर्लिंग की कहानी, दर्शन समय और यात्रा गाइड

सोमनाथ मंदिर दर्शन समय और आरती

सोमनाथ मंदिर की यात्रा हर शिव भक्त का सपना होता है। यहाँ दर्शन और यात्रा से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी निम्नलिखित है: सोमनाथ मंदिर सुबह 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक खुला रहता है। मंदिर में तीन बार आरती होती है: लाइट एंड साउंड शो: हर शाम 7:45 से 8:45 बजे तक मंदिर का इतिहास दर्शाने वाला शो आयोजित होता है। 

विवरण जानकारी
दर्शन समय सुबह 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक
आरती समय सुबह 7:00 बजे, दोपहर 12:00 बजे, शाम 7:00 बजे
प्रवेश निःशुल्क; मोबाइल, बैग, और इलेक्ट्रॉनिक सामान अंदर ले जाना मना है
लाइट एंड साउंड शो शाम 7:45 बजे से 8:45 बजे तक (टिकट: ₹30 प्रति व्यक्ति)

ध्यान दें: मंदिर में मोबाइल, कैमरा, और इलेक्ट्रॉनिक सामान ले जाना वर्जित है। लॉकर सुविधा मुफ्त उपलब्ध है। यह टाइम बदल भी सकता है इसलिए सोमनाथ मंदिर की वेबसाइट https://somnath.org/ चेक कर लें!

सोमनाथ मंदिर कैसे पहुंचे? (यात्रा मार्गदर्शिका)

सोमनाथ मंदिर कैसे पहुंचे इसकी जानकारी यहाँ दी गई है। यह स्थान सड़क, रेल और वायु मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है:

✈️ 1. वायु मार्ग (By Air)

  • सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट: दीव (Diu) एयरपोर्ट (कोड: DIU) – लगभग 85 किमी दूर।
  • प्रमुख एयरपोर्ट: राजकोट (RAJ) या अहमदाबाद (AMD)। यहाँ से सोमनाथ के लिए टैक्सी या बस आसानी से मिल जाती है।

🚆 2. रेल मार्ग (By Train)

  • सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन: वेरावल रेलवे स्टेशन (Veraval Railway Station - VRL)।
  • दूरी: सोमनाथ मंदिर वेरावल से मात्र 7 किमी दूर है।
  • टैक्सी/ऑटो: स्टेशन से मंदिर तक पहुँचने के लिए शेयरिंग ऑटो या टैक्सी 20-30 रुपये में उपलब्ध होती है।

🛣️ 3. सड़क मार्ग (By Road)

  • सोमनाथ गुजरात के सभी प्रमुख शहरों से नेशनल और स्टेट हाईवेज़ से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
  • बसें: राज्य परिवहन की बसें और निजी बसें नियमित रूप से उपलब्ध हैं।
  • सूरत से सोमनाथ मंदिर की दूरी लगभग 450 किमी है।
  • अहमदाबाद से सोमनाथ मंदिर की दूरी लगभग 400 किमी है।

त्रिवेणी संगम और अन्य आकर्षण

सोमनाथ मंदिर गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में अरब सागर के तट पर स्थित है, जहाँ त्रिवेणी संगम (हिरण, कपिला, और सरस्वती नदियों का संगम) इसे और पवित्र बनाता है। मान्यता है कि इस संगम में स्नान करने से पापों का नाश होता है।

सोमनाथ में अन्य दर्शनीय स्थल भी हैं, जो भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं:

  • अहिल्याबाई होल्कर मंदिर (पुराना सोमनाथ मंदिर): मुख्य मंदिर के पास ही स्थित। इसका निर्माण इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था। इस मंदिर में भक्त गर्भ गृह के अंदर जाकर ज्योतिर्लिंग का स्पर्श और जल अभिषेक कर सकते हैं।
  • भालका तीर्थ: यह वह पवित्र स्थान है, जहाँ माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण को जरा नामक शिकारी का तीर लगा था।
  • गोलोक धाम और गीता मंदिर: यह त्रिवेणी संगम के पास स्थित है। गोलोक धाम वह स्थान है जहाँ भगवान श्री कृष्ण ने अपने नश्वर शरीर का त्याग किया था। गीता मंदिर के पिलरों पर गीता के श्लोक उत्कीर्ण हैं।
  • त्रिवेणी संगम: हिरन, कपिला और सरस्वती नदियों का पवित्र संगम। यहाँ स्नान का विशेष धार्मिक महत्व है।
  • सोमनाथ प्रोमेनाड और बीच: समुद्र के किनारे पैदल चलने का एक खूबसूरत रास्ता। यहाँ आप अरब सागर के मनोरम दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।
  • लक्ष्मीनारायण मंदिर: भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का सुंदर मंदिर।
  • सूर्य मंदिर: प्राचीन सूर्य पूजा का प्रतीक।

हर शाम 7:45 बजे मंदिर परिसर में लाइट एंड साउंड शो आयोजित होता है, जिसमें अमिताभ बच्चन की आवाज में सोमनाथ के इतिहास को जीवंत किया जाता है। यह शो भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देता है।

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ठहरने और भोजन की सुविधाएँ (Somnath Temple Stay)

सोमनाथ धाम में भक्तों के लिए रहने और खाने की उत्तम व्यवस्था है, जो बजट-फ्रेंडली भी है।

🏨 1. आवास/ठहरने के विकल्प (Somnath Temple Stay)

  • ट्रस्ट अतिथि गृह: सोमनाथ ट्रस्ट द्वारा संचालित 'अतिथि गृह' जैसे सागर दर्शन, लीला वती, और महेश वती हैं, जो उचित दरों पर कमरे और डोरमेट्री की सुविधा प्रदान करते हैं। आप somnath.org online room booking की आधिकारिक वेबसाइट पर भी बुकिंग की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  • निजी होटल: मंदिर के नज़दीक कई निजी होटल और धर्मशालाएँ भी उपलब्ध हैं। ऑफ-सीज़न में आप ₹300 से ₹1000 में अच्छे कमरे पा सकते हैं।

🍲 2. भोजन व्यवस्था

  • सोमनाथ ट्रस्ट भोजनालय: मंदिर ट्रस्ट द्वारा दिन में दो बार निशुल्क प्रसाद रूपी भंडारा (फ्री फूड) दिया जाता है। यह भोजन सादा, सात्विक और स्वादिष्ट होता है।
  • रेस्टोरेंट: मंदिर के आसपास कई शाकाहारी गुजराती और काठियावाड़ी रेस्टोरेंट और ढाबे भी उपलब्ध हैं।

सोमनाथ मंदिर ऑनलाइन सेवाएँ: पूजा, प्रसाद और दान बुकिंग

आधुनिक समय में, सोमनाथ ट्रस्ट (Somnath Trust) ने भक्तों के लिए कई ऑनलाइन सुविधाएँ शुरू की हैं। जो भक्त दूर होने के कारण मंदिर नहीं आ सकते या जो अपनी यात्रा की योजना पहले से बनाना चाहते हैं, उनके लिए आधिकारिक वेबसाइट पर सभी तरह की बुकिंग उपलब्ध हैं जैसे प्रसाद बुकिंग पूजा बुकिंग और somnath.org online room booking ऑनलाइन कर सकते हैं।

1. सोमनाथ मंदिर में ऑनलाइन पूजा/दर्शन बुकिंग

सोमनाथ मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट भक्तों को विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों (जैसे रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप आदि) और दर्शन के लिए ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा देती है।

बुकिंग की प्रक्रिया (Step-by-Step):

  1. सबसे पहले आधिकारिक वेबसाइट: https://somnath.org/ पर जाएँ।
  2. होम पेज पर "Online Donation / Pooja Vidhi" विकल्प पर क्लिक करें।
  3. उपलब्ध पूजाओं की सूची में से अपनी इच्छित पूजा (जैसे बिल्व पूजा, सोमनाथ महादेव दर्शन) का चयन करें।
  4. अब आपको दिनांक (Date) और समय स्लॉट (Time Slot) का चयन करना होगा।
  5. अपना व्यक्तिगत विवरण (नाम, पता, फ़ोन नंबर) सावधानी से भरें।
  6. अंत में, भुगतान (Checkout) करके अपनी बुकिंग पूरी करें। आपको बुकिंग की पुष्टि (Confirmation) ईमेल के माध्यम से प्राप्त होगी।

2. सोमनाथ मंदिर ऑनलाइन प्रसाद एवं सामग्री बुकिंग

सोमनाथ मंदिर का प्रसाद और अन्य धार्मिक वस्तुएँ भी आप घर बैठे ऑनलाइन मंगा सकते हैं।

  • विकल्प: आधिकारिक वेबसाइट पर आपको प्रसाद, पीताम्बर साड़ी, ध्वजा, कोटि सिल्वर कॉइन (Silver Coin) और कुर्ता आदि बुक करने के विकल्प मिलते हैं। यह सुविधा आमतौर पर वेबसाइट के 'शॉप' (Shop) या 'प्रसाद बुकिंग' सेक्शन में उपलब्ध होती है।

प्रक्रिया:
  • आधिकारिक वेबसाइट पर 'Online Prasad Booking' विकल्प पर जाएँ।
  • अपनी पसंद की वस्तु और उसकी कीमत चुनें।
  • आगे बढ़ने के लिए साइन-अप/लॉगिन करें और अपना विवरण (शिपिंग एड्रेस) भरें।
  • भुगतान करें और ऑर्डर को पूरा करें।
महत्वपूर्ण नोट: ऑनलाइन पूजा या प्रसाद बुकिंग के लिए हमेशा ट्रस्ट की आधिकारिक वेबसाइट (https://somnath.org/) का ही उपयोग करें ताकि आपके पैसे और व्यक्तिगत जानकारी सुरक्षित रहे।

संबंधित धार्मिक स्थल जिन्हें आप देख सकते हैं

निष्कर्ष

सोमनाथ मंदिर का इतिहास भक्ति, साहस, और पुनर्जनन की कहानी है। चंद्रदेव की तपस्या से लेकर सरदार वल्लभभाई पटेल के पुनर्निर्माण तक, यह मंदिर भारतीय संस्कृति का गौरव है। त्रिवेणी संगम और आसपास के दर्शनीय स्थल इसे एक अविस्मरणीय तीर्थ यात्रा बनाते हैं।

हम आशा करते हैं कि यह लेख आपको सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए प्रेरित करेगा। अपनी यात्रा की योजना बनाएं, भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करें, और नीचे कमेंट में अपनी कहानी साझा करें। क्या आपने सोमनाथ मंदिर की यात्रा की है? हमें बताएं!

हर हर महादेव!

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