श्रृंगवेरपुर धाम प्रयागराज: रामायण की पवित्र भूमि, निषादराज पार्क और घाटों की पूरी यात्रा गाइड

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अगर आप इतिहास और आध्यात्मिकता का संगम ढूंढ रहे हैं, तो श्रृंगवेरपुर धाम प्रयागराज आपके लिए एक अनमोल खजाना है। त्रेता युग की वो स्मृतियां, जहां भगवान राम ने सीता-लक्ष्मण के साथ गंगा पार की, आज भी जीवंत हैं। यह धाम न सिर्फ धार्मिक पर्यटन का केंद्र बन चुका है, shringverpur dham prayagraj योगी सरकार के प्रयासों से एक आधुनिक तीर्थ स्थल के रूप में चमक रहा है। महाकुंभ 2025 के दौरान यहां लाखों श्रद्धालु पहुंचे, और अब यह प्रयागराज की यात्रा का अनिवार्य हिस्सा है। 

श्रृंगवेरपुर धाम: रामायण काल का वो पवित्र स्थल जहां श्रीराम और निषादराज की मित्रता हुई |

प्रयागराज में गंगा नदी के किनारे बसा श्रृंगवेरपुर धाम, केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि त्रेता युग की उस पवित्र गाथा का साक्षी है, जहाँ भगवान राम ने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ वनवास की अपनी पहली रात बिताई थी। यह वही स्थान है जहाँ सामाजिक समरसता का सबसे बड़ा उदाहरण देखने को मिलता है – श्रीराम और निषादराज गुह की अटूट मित्रता। आइए, इस ब्लॉग में हम इस पवित्र स्थल की पूरी यात्रा पर चलें – इतिहास से लेकर पहुंचने के टिप्स तक।

श्रृंगवेरपुर धाम प्रयागराज कहां है? एक नजर में लोकेशन

श्रृंगवेरपुर धाम प्रयागराज उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में स्थित है, जो गंगा नदी के किनारे बसा एक शांत गांव है। अगर आप सोच रहे हैं कि श्रृंगवेरपुर कहां है, तो सरल शब्दों में – यह प्रयागराज शहर से लगभग 40 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में लखनऊ रोड पर फैला हुआ है। यह स्थान रामायण काल में निषादराज गुह की राजधानी था, जहां से भगवान राम ने वनवास की शुरुआत की।

आज यह धाम एक हरा-भरा क्षेत्र है, जहां हरियाली और नदी की लहरें मन को शांति देती हैं। महाकुंभ 2025 के बाद यहां का विकास तेजी से हुआ है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिसंबर 2024 में इसे आधिकारिक तीर्थ क्षेत्र घोषित किया। अगर आप नक्शे पर देखें, तो यह प्रयागराज के संगम तट से करीब 35 किलोमीटर दूर है – एक छोटी ड्राइव ही आपको इस दिव्य भूमि पर ले जाती है।

नीचे एक सरल टेबल में प्रमुख दूरी की जानकारी दी गई है, जो आपकी प्लानिंग आसान कर देगी:

स्थान श्रृंगवेरपुर धाम की दूरी अनुमानित समय (कार से)
प्रयागराज से 40 किमी 1 घंटा
अयोध्या से 170 किमी 3-4 घंटे
वाराणसी से 120 किमी 2.5 घंटे

यह टेबल न सिर्फ उपयोगी है, बल्कि रामायण ट्रेल पर यात्रा करने वालों के लिए परफेक्ट।

रामायण कनेक्शन: निषादराज पार्क श्रृंगवेरपुर की अनकही कहानी

श्रृंगवेरपुर धाम प्रयागराज का असली जादू रामायण में छिपा है। अयोध्या से वनवास पर निकले भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण यहां पहुंचे। निषादराज गुह ने उनका स्वागत किया, रात भर विश्राम कराया, और फिर गंगा पार कराई। यह वही जगह है जहां केवट ने राम के चरण धोकर अपनी भक्ति दिखाई। रामायण में वर्णित यह घटना आज भी श्रद्धालुओं को भावुक कर देती है।

अब बात करें निषादराज पार्क श्रृंगवेरपुर की – यह पार्क धाम का हृदय है। 6 हेक्टेयर में फैला यह उद्यान योगी सरकार के ₹37.81 करोड़ के निवेश से विकसित हुआ है। पार्क के बीच में 51 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा है, जहां राम और निषादराज एक-दूसरे को गले लगाए हुए हैं – सामाजिक समरसता का प्रतीक। महाकुंभ 2025 में यहां 1 करोड़ से ज्यादा लोग आए, जो इसकी लोकप्रियता दर्शाता है। योगी शृंगवेरपुर धाम को अयोध्या राम मंदिर की तर्ज पर विकसित करने पर जोर दे रहे हैं, जिसमें ओपन एयर थिएटर, चिल्ड्रन प्ले एरिया और आध्यात्मिक गैलरी शामिल हैं।

यह पार्क न सिर्फ इतिहास जीवंत करता है, बल्कि परिवारों के लिए एक पिकनिक स्पॉट भी है। यहां घूमते हुए लगता है जैसे त्रेता युग की हवा बह रही हो।

श्रृंगवेरपुर धाम प्रयागराज कैसे पहुंचें? आसान ट्रांसपोर्ट गाइड

प्रयागराज पहुंचना आसान है, और वहां से श्रृंगवेरपुर धाम प्रयागराज सिर्फ एक घंटे की दूरी पर है। अगर आप ट्रेन से आ रहे हैं, तो प्रयागराज जंक्शन सबसे नजदीकी स्टेशन है। यहां से लोकल बस या टैक्सी लें – बस किराया ₹50-100, जबकि टैक्सी ₹800-1000 राउंड ट्रिप। हाईवे पर साफ साफ बोर्ड लगे हैं, जो रास्ता आसान बनाते हैं।

  • सड़क मार्ग: NH-30 से लखनऊ रोड पर चलें। प्रयागराज से श्रृंगवेरपुर दूरी 40 किमी है, और रोड स्मूथ है।
  • रेल मार्ग: प्रयागराज जंक्शन से बस लें। अगर प्राइवेट वाहन है, तो GPS पर "श्रृंगवेरपुर धाम" सर्च करें।
  • वायु मार्ग: प्रयागराज एयरपोर्ट (बमरौली) से 50 किमी दूर, कैब बुक करें।

महाकुंभ 2025 के बाद ट्रैफिक बढ़ा है, लेकिन सुबह 8-10 बजे का समय बेस्ट है। पार्किंग फ्री है, और इलेक्ट्रिक रिक्शा भी उपलब्ध।

घूमने लायक जगहें: श्रृंगवेरपुर घाट, मंदिर और फोटोज के लिए स्पॉट्स

श्रृंगवेरपुर धाम प्रयागराज घूमने लायक जगहों से भरा पड़ा है। यहां श्रृंगवेरपुर घाट पर गंगा स्नान करें – सुबह की सुनहरी किरणें नदी पर पड़ती हैं, तो मन मोह लिया जाता है। रामघाट पर चरण पादुका देखें, जहां राम के पैरों के निशान आज भी हैं।

श्रृंगवेरपुर में घूमने लायक प्रमुख स्थान

श्रृंगवेरपुर धाम को उत्तर प्रदेश सरकार ने एक प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया है, जहाँ आध्यात्मिक शांति के साथ-साथ आधुनिक सुविधाएँ भी मौजूद हैं।

  1. निषादराज पार्क (Nishadraj Park): छह हेक्टेयर में फैला यह पार्क श्रृंगवेरपुर का सबसे बड़ा आकर्षण है। पार्क के केंद्र में श्रीराम और निषादराज की 51 फीट ऊँची कांस्य की प्रतिमा स्थापित है, जो गले मिलते हुए दोनों की गहरी मित्रता को दर्शाती है। यह प्रतिमा सामाजिक समरसता का प्रतीक है। निषादराज किला अवशेष: पुरातात्विक खुदाई से मिले अवशेष, जो 2000 साल पुरानी सभ्यता बताते हैं।
  2. श्रृंगी ऋषि मंदिर: गंगा घाट के पास स्थित यह मंदिर श्रृंगी ऋषि और उनकी पत्नी शांता को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि यहाँ पूजा-अर्चना करने से संतान सुख की कामना पूरी होती है। श्रृंगी ऋषि मंदिर (shringverpur temple): राजा दशरथ के पुत्रेष्टि यज्ञ की जगह। संतान प्राप्ति की कामना वाले यहां खीर-रोटी का प्रसाद चढ़ाते हैं। मंदिर प्राचीन है, लेकिन हाल के विकास से चमकदार।
  3. रामघाट और गंगा घाट: श्रृंगवेरपुर घाट वह पवित्र स्थान है जहाँ से भगवान राम ने गंगा पार की थी। यहाँ के शांत और मनोरम घाटों पर श्रद्धालु स्नान और ध्यान करते हैं। गंगा नदी का बहता जल और भजन-कीर्तन की मधुर ध्वनि मन को शांति प्रदान करती है।
  4. रामचौरा और राम शयन आश्रम: रामचौरा वह स्थान है जहाँ भगवान राम ने अपनी यात्रा के दौरान रात्रि विश्राम किया था। यहाँ एक शीशम के पेड़ के नीचे श्रीराम ने विश्राम किया था, जो आज भी एक पवित्र स्थल के रूप में पूजित है।
  5. पुरातत्व स्थल: 1970 के दशक में हुई खुदाई में यहाँ प्राचीन सभ्यता के अवशेष मिले हैं, जिसमें एक 2000 साल पुराना तालाब भी शामिल है। यह पुरातात्विक स्थल इस क्षेत्र के गौरवशाली इतिहास को दर्शाता है।
  6. 6. सीताकुंड घाट: माता सीता से जुड़ी कथा। यहां सूर्यास्त देखना अविस्मरणीय अन्य आकर्षण: टूरिस्ट फैसिलिटी सेंटर, ओपन एयर थिएटर, चिल्ड्रेन प्ले एरिया और आध्यात्मिक गैलरी।

श्रृंगवेरपुर धाम फोटोज के लिए परफेक्ट – निषादराज पार्क की प्रतिमा, घाटों की हरियाली, और गंगा की लहरें इंस्टाग्राम वर्थी हैं। (नीचे कुछ हाइलाइट फोटोज: [श्रृंगवेरपुर धाम फोटोज इमेज गैलरी – राम-निषादराज प्रतिमा, रामघाट सूर्योदय])। श्रृंगवेरपुर प्लेसेस टू विजिट में ये सभी शामिल हैं, और 2-3 घंटे में कवर हो जाते हैं।

धार्मिक यात्रा और टिप्स

बेस्ट टाइम टू विजिट, टिप्स और अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

श्रृंगवेरपुर धाम प्रयागराज घूमने का बेस्ट टाइम अक्टूबर से मार्च है – मौसम सुहावना, और कार्तिक पूर्णिमा पर रामायण मेला लगता है। महाकुंभ 2025 ने इसे और लोकप्रिय बनाया, लेकिन अब भी शांत है।

यात्रा टिप्स:

  • हल्के कपड़े पहनें, स्नान के लिए।
  • पानी और स्नैक्स साथ रखें, क्योंकि गांव है।
  • फोटोग्राफी के लिए सुबह-शाम आएं।
  • लोकल गाइड हायर करें रामायण कथाओं के लिए – ₹200-300 में उपलब्ध।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ):

श्रृंगवेरपुर धाम प्रयागराज कब जाएं? सर्दियों में, खासकर राम नवमी या महाकुंभ के आसपास।

एंट्री फीस? फ्री, लेकिन पार्क में डोनेशन बॉक्स है।

रुकने की व्यवस्था? नजदीकी होटल्स प्रयागराज में, या पार्क के पास टेंट साइट्स।

श्रृंगवेरपुर कहाँ है? 

श्रृंगवेरपुर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में गंगा नदी के तट पर स्थित एक धार्मिक स्थल है।

प्रयागराज से श्रृंगवेरपुर की दूरी कितनी है?

प्रयागराज से श्रृंगवेरपुर की दूरी लगभग 35-40 किलोमीटर है।

श्रृंगवेरपुर क्यों प्रसिद्ध है?

यह रामायण में वर्णित वह स्थान है, जहाँ भगवान राम ने वनवास के दौरान विश्राम किया था और निषादराज गुह से मित्रता की थी।

निषादराज पार्क कहाँ है?

निषादराज पार्क श्रृंगवेरपुर धाम में ही स्थित है और इसका मुख्य आकर्षण श्रीराम-निषादराज की 51 फीट ऊँची प्रतिमा है।

क्या श्रृंगवेरपुर में रुकने की व्यवस्था है?

हाँ, यहाँ पर्यटकों के लिए कुछ होटल और होमस्टे की सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

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निष्कर्ष: श्रृंगवेरपुर धाम – आस्था और शांति का संगम

श्रृंगवेरपुर धाम प्रयागराज न सिर्फ रामायण की धरोहर है, बल्कि एक ऐसा स्थान जहां आधुनिकता और प्राचीनता का मेल होता है। निषादराज पार्क श्रृंगवेरपुर से लेकर श्रृंगवेरपुर घाट तक, हर कोना भक्ति से ओतप्रोत है। अगर आप प्रयागराज घूमने आ रहे हैं, तो इस धाम को मिस न करें – यह आपकी आत्मा को छू लेगा।

आपकी यात्रा कैसी रही? कमेंट में शेयर करें, और इस पोस्ट को लाइक-शेयर करें ताकि ज्यादा भक्तों तक पहुंचे। जय श्री राम! अगर और जानकारी चाहिए, तो नीचे पूछें। (संबंधित पढ़ें: प्रयागराज के अन्य रामायण स्थल)

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