अगर आप धार्मिक यात्रा के शौकीन हैं और लखनऊ के आसपास कोई शांत और आध्यात्मिक जगह ढूंढ रहे हैं, तो chandrika devi temple lucknow आपके लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन है। यह मंदिर मां दुर्गा के एक स्वरूप मां चंद्रिका देवी को समर्पित है, जो लखनऊ से कुछ ही दूरी पर बख्शी का तालाब इलाके में गोमती नदी के किनारे स्थित है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता, पौराणिक कथाएं और भक्तों की अटूट आस्था इसे एक प्रमुख तीर्थस्थल बनाती है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम maa chandrika devi temple lucknow के बारे में विस्तार से जानेंगे - इसका इतिहास, धार्मिक महत्व, chandrika devi mandir timing, chandrika devi mandir lucknow distance, कैसे पहुंचें और आसपास के दर्शनीय स्थल। तो चलिए, शुरू करते हैं इस पवित्र यात्रा को!
अगर आप लखनऊ के दर्शनीय स्थल की तलाश में हैं या किसी धार्मिक यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो Chandrika Devi Mandir आपके लिए एक आदर्श स्थान हो सकता है। इस पोस्ट में हम इस सिद्धपीठ के इतिहास, मान्यताओं, यात्रा और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी पर विस्तार से बात करेंगे।
चंद्रिका देवी मंदिर का इतिहास और पौराणिक कथा
maa chandrika devi mandir लखनऊ का एक प्राचीन सिद्धपीठ है, जिसका उल्लेख स्कंद पुराण और कर्म पुराण जैसे ग्रंथों में मिलता है। मान्यता है कि यह मंदिर लगभग 300 साल पुराना है, लेकिन इसकी जड़ें त्रेता और द्वापर युग तक जाती हैं।
कहा जाता है कि त्रेता युग में भगवान राम के भाई लक्ष्मण के पुत्र चंद्रकेतु अश्वमेध यज्ञ के घोड़े के साथ गोमती नदी के किनारे घने जंगल में रुके थे। अमावस्या की रात में अंधेरा और भय होने पर उन्होंने अपनी मां उर्मिला द्वारा सिखाए मंत्रों से देवी की आराधना की। तभी जंगल में चंद्रमा जैसी रोशनी फैली और मां चंद्रिका देवी प्रकट हुईं, जिससे उनका भय दूर हो गया। इसी जगह पर चंद्रिका देवी मंदिर लखनऊ की स्थापना हुई।
पौराणिक कथाएं और मंदिर से जुड़ी मान्यताएं
द्वापर युग में महाभारत काल से जुड़ी कथा भी प्रसिद्ध है। भगवान कृष्ण के सलाह पर घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक ने यहां तीन साल तक कठोर तपस्या की और महान शक्ति प्राप्त की। आज भी मंदिर में बर्बरीक द्वार भक्तों को आकर्षित करता है। एक अन्य किंवदंती के अनुसार, दक्ष प्रजापति के श्राप से पीड़ित चंद्रमा ने यहां महीसागर संगम तीर्थ में स्नान कर मुक्ति पाई। महाभारत में पांडवों ने भी यहां अश्वमेध यज्ञ किया था, और सुधनवा कुंड की कथा इसी से जुड़ी है - जहां राजा हंसध्वज के पुत्र सुधनवा को खौलते तेल में डाला गया, लेकिन देवी की कृपा से वे सुरक्षित रहे।
मंदिर के पास स्थित "सुधन्वा कुंड" का भी एक गहरा ऐतिहासिक महत्व है। महाभारत काल में राजा युधिष्ठिर के अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा राजा हंसध्वज ने यहाँ रोक लिया था। इस युद्ध में राजा हंसध्वज के एक पुत्र, सुधन्वा, जो माँ चंद्रिका देवी के बहुत बड़े भक्त थे, ने हिस्सा नहीं लिया। दंड स्वरूप, उन्हें खौलते तेल के कड़ाहे में डाल दिया गया, लेकिन माँ की कृपा से उन्हें कुछ नहीं हुआ। तभी से इस कुंड को सुधन्वा कुंड के नाम से जाना जाता है।
12वीं शताब्दी में विदेशी आक्रमणकारियों ने मंदिर को नष्ट किया, लेकिन 250-300 साल पहले स्थानीय ग्रामीणों ने देवी की मूर्ति को फिर से स्थापित किया। आज यह जगह कठवारा गांव में chandrika devi mandir bakshi ka talab के नाम से जानी जाती है, जहां मां पिंडी स्वरूप में विराजमान हैं।
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Chandrika Devi Mandir Lucknow Timing 2025
मंदिर साल भर भक्तों के लिए खुला रहता है। Chandrika Devi Mandir timing इस प्रकार हैं:
माँ चंद्रिका देवी मंदिर: दर्शन और आरती का समय
अगर आप माँ चंद्रिका देवी के दर्शन का प्लान बना रहे हैं, तो मंदिर के समय की जानकारी होना बेहद ज़रूरी है। यहाँ भक्तों के लिए मंदिर के खुलने, बंद होने और आरती का पूरा शेड्यूल दिया गया है।
दिन | दर्शन का समय |
---|---|
सोमवार | सुबह 5:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक और दोपहर 2:00 बजे से रात 11:00 बजे तक |
मंगलवार | सुबह 5:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक और दोपहर 2:00 बजे से रात 11:00 बजे तक |
बुधवार | सुबह 5:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक और दोपहर 2:00 बजे से रात 11:00 बजे तक |
गुरुवार | सुबह 5:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक और दोपहर 2:00 बजे से रात 11:00 बजे तक |
शुक्रवार | सुबह 5:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक और दोपहर 2:00 बजे से रात 11:00 बजे तक |
शनिवार | सुबह 5:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक और दोपहर 2:00 बजे से रात 11:00 बजे तक |
रविवार | सुबह 5:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक और दोपहर 2:00 बजे से रात 11:00 बजे तक |
विशेष नोट:
- आरती का समय: सुबह 7:00 बजे और शाम 8:00 बजे होती है।
- नवरात्र: नवरात्रि के दौरान शाम की आरती से पहले (शाम 7:00 बजे से 8:00 बजे तक) मंदिर एक घंटे के लिए बंद रहता है।
- अमावस्या: अमावस्या की पूर्व संध्या (चतुर्दशी की रात्रि) पर दर्शन पूरी रात खुले रहते हैं।
नोट: अमावस्या और नवरात्रि के दिनों में मंदिर पूरी रात खुला रहता है, और भक्तों की भीड़ के कारण दर्शन का समय बढ़ सकता है।
माँ चंद्रिका देवी मंदिर तक कैसे पहुँचे?
Maa Chandrika Devi Mandir Lucknow address बहुत ही आसानी से पहुँचा जा सकता है:
- सड़क मार्ग: Chandrika Devi temple lucknow राष्ट्रीय राजमार्ग-24 (लखनऊ-सीतापुर मार्ग) पर स्थित बख्शी का तालाब से करीब 11 किमी दूर कठवारा गाँव में है। आप लखनऊ शहर से टैक्सी, ऑटो या बस से आसानी से यहाँ पहुँच सकते हैं।
- रेल मार्ग: Lucknow Junction से आप टैक्सी या स्थानीय परिवहन ले सकते हैं। सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन बख्शी का तालाब रेलवे स्टेशन है।
- हवाई मार्ग: चौधरी चरण सिंह अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, लखनऊ से Chandrika Devi mandir distance लगभग 45 किमी है। यहाँ से आप टैक्सी किराए पर ले सकते हैं।
ध्यान दें: यदि आप अपने निजी वाहन से आ रहे हैं, तो Chandrika Devi mandir bakshi ka talab तक पहुँचने के लिए गूगल मैप्स का उपयोग कर सकते हैं।
आसपास के प्रमुख दर्शनीय स्थल
Maa Chandrika Devi Mandir के दर्शन के बाद आप आसपास के कुछ और स्थानों का भी भ्रमण कर सकते हैं, जैसे:
- नवाबगंज पक्षी विहार (चंद्रशेखर आजाद पक्षी विहार): यह लखनऊ से करीब 40 किमी दूर स्थित है, जहाँ आप विभिन्न प्रकार के प्रवासी पक्षियों को देख सकते हैं।
- नैमिषारण्य: यह एक पौराणिक महत्व का तीर्थ स्थल है, जो Chandrika Devi mandir distance से करीब 60 किमी दूर है।
- अलीगंज हनुमान मंदिर: लखनऊ का यह प्रसिद्ध मंदिर हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है।
- सुधनवा कुंड: मंदिर के पास ही, जहां स्नान से रोग मुक्ति की मान्यता है। यहां भगवान शिव की विशाल मूर्ति देखें।
- देवा शरीफ: 50 किमी दूर, सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की दरगाह, जहां सभी धर्मों के लोग आते हैं।
इन जगहों पर chandrika devi temple lucknow photos क्लिक करें, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो सकती हैं।
माँ चंद्रिका देवी मंदिर: एक धार्मिक केंद्र से बढ़कर
यह मंदिर सिर्फ पूजा-पाठ का स्थल नहीं, बल्कि कई धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों का केंद्र भी है।
- अमावस्या का मेला: पिछले 300 से अधिक वर्षों से हर अमावस्या पर यहाँ एक विशाल मेले का आयोजन होता है, जिसमें लाखों भक्त भाग लेते हैं।
- नवरात्रों की रौनक: Navratri के दौरान यहाँ का माहौल पूरी तरह से भक्तिमय हो जाता है। सुबह-शाम की विशेष आरती, भजन-कीर्तन और धार्मिक अनुष्ठानों में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है।
- मनोकामना की चुनरी: भक्तों की ऐसी मान्यता है कि यहाँ चुनरी में गांठ बांधकर मनोकामना मांगने से वह पूरी होती है। मनोकामना पूरी होने पर भक्त माँ को घंटा या चुनरी चढ़ाते हैं।
- माहिसर संगम तीर्थ: मंदिर की तीन दिशाओं में गोमती नदी की जलधारा बहती है और चौथी दिशा में माहिसर संगम तीर्थ स्थित है। इस कुंड के जल को पाताल से जुड़ा माना जाता है, और कहते हैं कि इसमें स्नान करने से कई प्रकार के रोग और पाप दूर हो जाते हैं।
प्रमुख यात्राएँ और पवित्र धाम
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यात्रा टिप्स और सावधानियां
- कब जाएं: नवरात्रि या अमावस्या पर जाएं, लेकिन भीड़ से बचने के लिए ऑफ-सीजन चुनें। सुबह या शाम का समय बेस्ट है।
- क्या ले जाएं: पानी की बोतल, सनस्क्रीन, आरामदायक जूते। प्रसाद के लिए सूखे मेवे लें, क्योंकि यही मुख्य ऑफरिंग है।
- सुरक्षा: हाल ही में कुछ इंसिडेंट्स (जैसे प्रसाद न खरीदने पर झगड़े) की खबरें आई हैं, इसलिए सावधान रहें। पुलिस CCTV से मॉनिटर करती है, लेकिन शॉप्स से सतर्क रहें।
- फोटोग्राफी: chandrika devi mandir lucknow photo लेते समय मंदिर नियमों का पालन करें। ड्रोन यूज से बचें।
- ठहरना: लखनऊ में होटल या मंदिर परिसर में फ्री यात्री निवास उपलब्ध है।
ये टिप्स आपकी यात्रा को सुरक्षित और यादगार बनाएंगे।
(FAQs)
Q1: क्या चंद्रिका देवी मंदिर खुला है?
A: हाँ, Chandrika Devi open now। यह हर दिन सुबह 5 बजे से रात 11 बजे तक खुला रहता है (दोपहर 1 से 2 बजे तक बंद)।
Q2: माँ चंद्रिका देवी मंदिर लखनऊ में कहाँ है?
A: यह लखनऊ के बख्शी का तालाब क्षेत्र में गोमती नदी के किनारे कठवारा गाँव में स्थित है।
Q3: चंद्रिका देवी मंदिर में कौन सी देवी की पूजा होती है?
A: यह मंदिर माँ दुर्गा के एक स्वरूप, माँ चंद्रिका देवी को समर्पित है।
Q4: लखनऊ से चंद्रिका देवी मंदिर कितनी दूर है?
A: लखनऊ शहर से chandrika devi mandir lucknow distance लगभग 28 से 30 किमी है।
निष्कर्ष
maa chandrika devi temple lucknow न सिर्फ एक मंदिर है, बल्कि आस्था, इतिहास और प्रकृति का संगम है। यहां आकर आप शांति और आशीर्वाद पा सकते हैं। यदि आप लखनऊ में हैं, तो chandrika devi mandir bakshi ka talab जरूर विजिट करें। क्या आप यहां गए हैं? कमेंट में अपनी कहानी शेयर करें! अगर पोस्ट पसंद आई, तो शेयर करें। जय मां चंद्रिका देवी! 🙏