मां बगलामुखी, हिंदू धर्म की दस महाविद्याओं में से एक, शक्ति और सुरक्षा की देवी हैं। इन्हें पीतांबरा देवी के नाम से भी जाना जाता है, और इनकी पूजा विशेष रूप से जीवन की बाधाओं को दूर करने और शांति प्राप्त करने के लिए की जाती है। यदि आप baglamukhi temple in himachal pradesh के बारे में जानना चाहते हों या baglamukhi mata mandir nalkheda की जानकारी जानने के इच्छुक हैं तो भारत में इनके तीन प्रमुख मंदिर हैं, जो लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में हम इन मंदिरों के इतिहास, महत्व, दर्शन के समय और यात्रा के तरीकों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। चाहे आप धार्मिक यात्रा की योजना बना रहे हों या देवी के बारे में जानना चाहते हों, यह गाइड आपके लिए उपयोगी साबित होगा।
मां बगलामुखी मंदिरों पर आधारित पॉडकास्ट
भारत में मां बगलामुखी के 3 प्रमुख मंदिर
| मंदिर का नाम | विवरण |
|---|---|
| बगलामुखी मंदिर नलखेड़ा (आगर मालवा, मध्य प्रदेश) |
यह मंदिर महाभारत काल का माना जाता है, जहाँ पांडवों ने विजय के लिए पूजा की थी। इसे त्रिशक्ति (मां बगलामुखी, लक्ष्मी और सरस्वती) के लिए भी जाना जाता है। |
| पीताम्बरा पीठ, दतिया (दतिया, मध्य प्रदेश) |
यह शक्तिपीठ शत्रु नाश के लिए प्रसिद्ध है। यहां मां बगलामुखी के साथ खंडेश्वर महादेव और धूमावती देवी भी विराजमान हैं। |
| बगलामुखी मंदिर कांगड़ा (बनखंडी, हिमाचल प्रदेश) |
माना जाता है कि इसकी स्थापना पांडवों द्वारा की गई थी। यह मंदिर कोर्ट-कचहरी के मामलों और परेशानियों से मुक्ति दिलाने के लिए प्रसिद्ध है, और माता को पीला रंग बहुत प्रिय है। |
कौन हैं माँ बगलामुखी?
माँ बगलामुखी को 'स्तंभन की देवी' के रूप में जाना जाता है। ‘बगला’ शब्द का अर्थ है ‘लगाम’ और ‘मुखी’ का अर्थ है ‘मुख’। इसका मतलब है कि वह अपने भक्तों के शत्रुओं की वाणी, बुद्धि और गति को रोक देती हैं। इन्हें पीतांबरा देवी भी कहा जाता है, क्योंकि इन्हें पीला रंग अत्यंत प्रिय है। उनकी पूजा में पीले रंग के वस्त्र, फूल और मिठाई का विशेष महत्व है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार ब्रह्मांड को नष्ट करने वाले एक भयंकर तूफान से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने माँ बगलामुखी का आह्वान किया था। उनकी प्रार्थना पर, देवी हरिद्रा सरोवर (हल्दी का सरोवर) से प्रकट हुईं और अपनी शक्ति से उस तूफान को शांत कर दिया। इसी कारण उन्हें ब्रह्मांड को स्थिर करने वाली शक्ति के रूप में पूजा जाता है।
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में, ज्वालामुखी मंदिर और चिंतपूर्णी मंदिर के पास स्थित, माँ बगलामुखी मंदिर बनखंडी एक प्राचीन और पवित्र सिद्ध पीठ है। सिद्ध पीठ वह स्थान होता है जहाँ देवी-देवताओं ने स्वयं तपस्या की हो या जहाँ उनकी ऊर्जा हमेशा जागृत रहती है।
यह मंदिर, जिसे Original Baglamukhi Temple भी कहा जाता है, केवल एक पूजा स्थल नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा केंद्र है जहाँ भक्त अपनी सभी परेशानियों से मुक्ति पाते हैं। यहाँ की हवा में एक अलौकिक शांति और शक्ति महसूस होती है, जो भक्तों को एक नई ऊर्जा से भर देती है।
मंदिर का इतिहास और पौराणिक कथाएँ
बगलामुखी मंदिर कांगड़ा का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान, भगवान श्रीकृष्ण के निर्देश पर, इस मंदिर का निर्माण एक ही रात में किया था। उन्होंने कौरवों पर विजय प्राप्त करने और युद्ध में अपनी शक्ति को बढ़ाने के लिए यहाँ माँ बगलामुखी की विशेष पूजा-अर्चना की थी।
इसके अलावा, रामायण काल से जुड़ी एक और पौराणिक कथा के अनुसार, लंकापति रावण को हराने से पहले भगवान श्रीराम ने भी यहाँ माँ बगलामुखी का आह्वान किया था। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर देवी ने उन्हें विजय का आशीर्वाद दिया था, जिसके बाद ही वह रावण पर विजय प्राप्त कर पाए।
इन कथाओं के कारण, यह मंदिर न केवल धार्मिक, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
लाइव दर्शन और मंदिर जानकारी
- भारत के प्रमुख मंदिरों का सीधा अनुभव करना चाहते हैं तो यहाँ पढ़ें – Live Darshan Indian Temples
- जानें कब होगा ऐतिहासिक अयोध्या राम मंदिर का उद्घाटन और इसकी खासियतें
- यात्रा से पहले ज़रूरी नियम जानें – तिरुपति बालाजी दर्शन के नियम
- वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर के दर्शन की पूरी टाइमिंग्स देखें
1. baglamukhi temple kangra (हिमाचल प्रदेश)
baglamukhi temple in himachal pradesh का यह मंदिर कांगड़ा जिले के बनखंडी में स्थित है, जो ज्वालामुखी और चिंतपूर्णी देवी मंदिरों के निकट है। यह भारत के सबसे प्राचीन सिद्ध पीठों में से एक है, जहां मां बगलामुखी को दुर्गा का तांत्रिक स्वरूप माना जाता है।
इतिहास और महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना द्वापर युग में पांडवों द्वारा की गई थी। अर्जुन और भीम ने यहां पूजा कर युद्ध में विजय प्राप्त की। कालांतर में, भगवान परशुराम और महाराजा संसार चंद कटोच ने भी यहां आराधना की। मंदिर में प्राचीन शिवलिंग भी स्थापित है, जहां भक्त मां के दर्शन के बाद अभिषेक करते हैं। यहां की विशेषता यह है कि मां को पीला रंग प्रिय है, इसलिए पीले वस्त्र और मिठाई (बेसन के लड्डू) चढ़ाए जाते हैं। baglamukhi temple kangra history से जुड़ी कथाएं बताती हैं कि मां यहां हल्दी के जल से प्रकट हुई थीं।
मंदिर में दर्शन और आरती का समय
मंदिर के दर्शन का समय भक्तों की सुविधा के लिए यहाँ दिया गया है। Baglamukhi Mandir सुबह से शाम तक खुला रहता है, लेकिन विशेष अनुष्ठानों के लिए समय में बदलाव हो सकता है।
- सुबह की आरती: सुबह 6:00 बजे
- शाम की आरती: शाम 7:30 बजे
- दर्शन का समय: सुबह 6:00 बजे से रात 9:30 बजे तक
नवरात्रों और अन्य विशेष पर्वों पर, मंदिर के खुलने और बंद होने का समय बढ़ जाता है ताकि अधिक से अधिक भक्त दर्शन का लाभ ले सकें।
हिमाचल प्रदेश बगलामुखी मंदिर तक कैसे पहुँचे?
बगलामुखी मंदिर हिमाचल प्रदेश तक पहुँचना काफी आसान है। आप अपनी सुविधा अनुसार किसी भी मार्ग का उपयोग कर सकते हैं:
सड़क मार्ग (Road)
- मंदिर हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा से 30 किमी और धर्मशाला से लगभग 50 किमी की दूरी पर है।
- आप दिल्ली, चंडीगढ़ या अन्य प्रमुख शहरों से बस या टैक्सी से यहाँ पहुँच सकते हैं।
रेल मार्ग (Train)
- सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट (Pathankot) है, जो मंदिर से लगभग 100 किमी दूर है।
- पठानकोट से आप टैक्सी या बस से मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
वायु मार्ग (Air)
- सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा गग्गल एयरपोर्ट (Gaggal Airport) है, जो कांगड़ा में स्थित है और मंदिर से लगभग 25 किमी दूर है।
- हवाई अड्डे से आप सीधे टैक्सी लेकर मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
तीर्थ यात्रा और धार्मिक यात्रा गाइड
- दिल्ली सरकार की योजना – मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन पूरी जानकारी
- हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं के लिए – चंडी देवी मंदिर गाइड पढ़ें
- श्री माता वैष्णो देवी यात्रा परची ऑनलाइन बुकिंग की पूरी प्रक्रिया जानें
- उत्तराखंड चार धाम यात्रा ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सम्पूर्ण जानकारी यहाँ देखें
2. baglamukhi mandir nalkheda (मध्य प्रदेश)
maa baglamukhi mata mandir nalkheda आगर मालवा जिले में लखुंदर नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर धार्मिक और तांत्रिक महत्व का केंद्र है, जहां त्रिशक्ति (बगलामुखी, लक्ष्मी और सरस्वती) की पूजा होती है।
इतिहास और महत्व
मंदिर की मूर्ति महाभारत कालीन मानी जाती है। कल्कि पुराण में इसका उल्लेख है, जहां पांडवों ने युधिष्ठिर के निर्देश पर यहां साधना की थी। मंदिर परिसर में 16 खंभों वाला 250 साल पुराना सभामंडप है, जो पंडित ईबुजी द्वारा बनवाया गया था। यहां की विशेषता है कि मंदिर के पीछे संतों की समाधियां हैं, जो इसे तंत्र साधना का प्रमाण देती हैं। maa baglamukhi mandir के भक्तों में कई प्रमुख हस्तियां शामिल हैं, जैसे स्मृति ईरानी और उमा भारती।
दर्शन का समय और पूजा
- आरती समय: सुबह 6:00 बजे और शाम 7:30 बजे।
- दर्शन समय: सुबह 6:00 से रात 9:30 बजे तक। नवरात्रि में विस्तारित।
- विशेष: baglamukhi havan samagri से हवन यहां विश्व प्रसिद्ध है, जो कष्ट निवारण के लिए किया जाता है।
कैसे पहुंचें
- निकटतम एयरपोर्ट: इंदौर (156 किमी)।
- रेलवे स्टेशन: उज्जैन (98 किमी) या शाजापुर (58 किमी)।
- सड़क मार्ग: इंदौर से बस या टैक्सी से 2-3 घंटे। baglamukhi mandir nalkheda उज्जैन से 100 किमी दूर है। यात्रा टिप: हल्दी और पीली पूजन सामग्री साथ ले जाएं।
3. maa baglamukhi temple दतिया (मध्य प्रदेश)
पीतांबरा पीठ के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर दतिया में स्थित है, जो शत्रु नाश और राजसत्ता की देवी के रूप में पूजा जाता है।
इतिहास और महत्व
मंदिर का निर्माण 1935 में स्वामीजी महाराज द्वारा दतिया नरेश के सहयोग से किया गया। यहां मां बगलामुखी के साथ धूमावती, खंडेश्वर महादेव और हनुमान जी की प्रतिमाएं हैं। मान्यता है कि यहां दर्शन से आस्था, शक्ति और शांति मिलती है। shri baglamukhi mata का यह रूप ब्रह्मास्त्र विद्या का प्रतीक है।
दर्शन का समय और पूजा
- आरती समय: सुबह और शाम।
- दर्शन समय: सुबह 5:00 से रात 8:00 बजे तक।
- विशेष: पीली वस्तुओं का चढ़ावा यहां प्रचलित है।
कैसे पहुंचें
- निकटतम एयरपोर्ट: ग्वालियर (75 किमी)।
- रेलवे स्टेशन: दतिया रेलवे स्टेशन से 5 किमी।
- सड़क मार्ग: भोपाल से 300 किमी, बस से आसान पहुंच। यात्रा टिप: परिसर में अन्य देवताओं के दर्शन भी करें।
विशेष धार्मिक यात्रा और दर्शन
- आध्यात्मिक शक्ति से भरी कैलाश मानसरोवर यात्रा गाइड पढ़ें
- अमरनाथ यात्रा 2024 रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि और पूरी जानकारी जानें
- उज्जैन महाकाल दर्शन ऑनलाइन बुकिंग की पूरी डिटेल यहाँ पढ़ें
- वृंदावन का प्रसिद्ध प्रेम मंदिर कहाँ है और इसकी खासियतें जानें
चेतावनी: मां बगलामुखी मंदिरों की फर्जी वेबसाइटों से सावधान रहें
मां बगलामुखी मंदिरों के नाम पर इंटरनेट पर कई वेबसाइटें मौजूद हैं, जो खुद को आधिकारिक बताकर दान, पूजा बुकिंग या हवन के नाम पर भक्तों को लुभाती हैं। इनमें से कुछ फर्जी हो सकती हैं, जो स्कैम या धोखाधड़ी का माध्यम बन जाती हैं। उदाहरण के लिए, बैंकहंडी मंदिर के आधिकारिक सोर्सेस खुद चेतावनी देते हैं कि फेक साइट्स, फोन कॉल्स या स्कैम्स से बचें और केवल ऑफिशियल वेबसाइट से ही डोनेशन या बुकिंग करें। इसी तरह, नलखेड़ा मंदिर के आसपास भी फ्रॉड एक्टिविटीज की शिकायतें सामने आई हैं।
हमारी वेबसाइट का इनसे कोई लेना-देना नहीं है। इसलिए, किसी भी डोनेशन या बुकिंग से पहले अपनी शौझ-बूझ से जांच करें—मंदिर के आधिकारिक सोशल मीडिया (जैसे फेसबुक पेज या स्थानीय संपर्क नंबर वेरिफाई करें। फर्जी साइट्स के चक्कर में पड़ने से बचें, ताकि आपकी श्रद्धा का अपव्यय न हो। यदि संदेह हो, तो सीधे मंदिर जाकर या विश्वसनीय स्रोतों से संपर्क करें।
निष्कर्ष:
माँ बगलामुखी की पूजा केवल शत्रुओं पर विजय के लिए नहीं है, बल्कि यह अपने भीतर के विकारों (जैसे क्रोध, लोभ और अहंकार) पर विजय प्राप्त करने का भी एक साधन है। यह मंदिर आध्यात्मिक शांति, आंतरिक शक्ति और जीवन में सफलता का मार्ग खोलता है।
यदि आप सच्ची श्रद्धा और विश्वास के साथ बगलामुखी माता मंदिर में दर्शन करते हैं, तो आपका जीवन निश्चित रूप से सकारात्मक ऊर्जा से भर जाएगा और माँ बगलामुखी का आशीर्वाद हमेशा आपके साथ रहेगा।
इस पोस्ट को अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें, ताकि वे भी Maa Baglamukhi के इस दिव्य स्थान के बारे में जान सकें।
.png)



