RBI New Rules 2025: मृतक के बैंक खाते का पैसा तुरंत मिलेगा: क्लेम देरी पर मुआवजा, सिर्फ 3 दस्तावेज में होगा काम

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अगर आपके परिवार में किसी की असमय मृत्यु हो जाती है, तो बैंक खाते या लॉकर में फंसे पैसे और सामान को निकालना अब पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में 'Reserve Bank of India (Settlement of Claims in respect of Deceased Customers of Banks) Directions, 2025' जारी किए हैं, जो बैंक मृत ग्राहक खाता निपटान नियम को पूरी तरह से बदल देंगे। इन नए नियमों के तहत, बैंकों को दावा निपटान (Claim Settlement) सिर्फ 15 दिनों के अंदर करना होगा, वरना नामांकित व्यक्ति या उत्तराधिकारियों को मुआवजा देना पड़ेगा। यह अपडेट सितंबर 2025 में आया है, जो पहले के ड्राफ्ट सर्कुलर पर आधारित है और परिवारों की लंबी कानूनी उलझनों से मुक्ति दिलाएगा।

इस ब्लॉग पोस्ट में हम RBI locker claim settlement rules, बैंक खाता नामांकन (Nominee) नियम, RBI 15 दिन में दावा निपटान, और RBI rules on death claim settlement जैसे टॉपिक्स को विस्तार से कवर करेंगे। अगर आप बैंक लॉकर claim process in Hindi या उत्तराधिकारी प्रमाणपत्र से बैंक क्लेम की जानकारी ढूंढ रहे हैं, तो यहां सब कुछ मिलेगा। आइए, स्टेप बाय स्टेप समझते हैं कि ये बदलाव आपके लिए क्या मायने रखते हैं।

RBI का धमाका: मृतक के परिजनों को मिलेगा तुरंत बैंक का पैसा,  सिर्फ 3 दस्तावेज में होगा क्लेम

मृतक खातों से पैसे निकालने का नया आसान तरीका

RBI हर बैंक के लिए एक जैसा नियम लाने जा रहा है, ताकि परिजनों को कानूनी उलझनों से निपटने की जरूरत न पड़े। अभी तक अलग-अलग बैंकों के अलग-अलग नियम और नामिनी न होने पर दिक्कतें होती थीं। अब ये होगा:

  • नामिनी के लिए खुशी की खबर: अगर नामिनी है, तो सिर्फ मृत्यु प्रमाणपत्र और ID प्रूफ से पैसा मिलेगा।
  • नामिनी नहीं तो भी परेशानी नहीं: अगर नामिनी नहीं है, तो बैंक 15 लाख रुपये तक की रकम बिना ज्यादा कागजों के दे देगा।
  • बड़ी रकम के लिए थोड़ा इंतजार: 15 लाख से ज्यादा के दावे के लिए उत्तराधिकारी प्रमाणपत्र या कोर्ट का ऑर्डर चाहिए होगा।
  • फिक्स्ड डिपॉजिट में राहत: खाताधारक की मौत पर फिक्स्ड डिपॉजिट को लॉक-इन पीरियड में भी तोड़ा जा सकेगा, ताकि परिवार को तुरंत पैसा मिले।
  • केवल 3 दस्तावेज काफी: नामिनी या जॉइंट अकाउंट होल्डर के लिए क्लेम फॉर्म, डेथ सर्टिफिकेट, और ID प्रूफ से काम चल जाएगा।

ये बदलाव जल्द ही लागू होगा, और इसके लिए RBI एक ड्राफ्ट सर्कुलर जारी करेगा, जिसमें लोगों की राय भी ली जाएगी। इससे परिवारों को तुरंत राहत मिलने की उम्मीद है!

RBI के नए नियम 2025: क्या बदलाव हुआ?

RBI ने मृत ग्राहकों के बैंक खातों और लॉकरों से संबंधित दावों के निपटान के लिए संशोधित नियम जारी किए हैं। मुख्य उद्देश्य है कि अलग-अलग बैंकों की अलग-अलग प्रक्रियाओं को सरल और एकसमान बनाना, ताकि ग्राहक सेवा की गुणवत्ता में सुधार हो। यहां मुख्य बदलाव हैं:

  • दावा निपटान का समय 15 दिन तय: अब बैंकों को जमा खातों (डिपॉजिट अकाउंट्स) से जुड़े दावों को सभी जरूरी दस्तावेज मिलने के 15 कैलेंडर दिनों के अंदर निपटाना होगा। लॉकर या सेफ कस्टडी आर्टिकल्स के लिए भी 15 दिनों में इन्वेंटरी शेड्यूल करनी होगी और कम्युनिकेशन भेजना होगा।
  • मुआवज़ा नियम: अगर बैंक की वजह से देरी होती है, तो डिपॉजिट क्लेम्स के लिए मौजूदा बैंक रेट + 4% वार्षिक ब्याज के रूप में मुआवजा मिलेगा। लॉकर क्लेम्स के लिए Rs 5,000 प्रति दिन का जुर्माना लगेगा। यह RBI compensation rules for delay in claim का हिस्सा है, जो बैंकों को जवाबदेह बनाएगा।
  • दस्तावेज़ प्रक्रिया का मानकीकरण: सभी बैंकों के लिए स्टैंडर्ड क्लेम फॉर्म और दस्तावेज लिस्ट होगी, जो उनकी वेबसाइट और शाखाओं पर उपलब्ध होगी। इससे मृत ग्राहक खाता settlement RBI 2025 आसान हो जाएगा।
  • नियम लागू करने की अंतिम तारीख: बैंकों को ये निर्देश जल्द से जल्द लागू करने हैं, लेकिन 31 मार्च 2026 तक का समय दिया गया है। कुछ बैंक पहले से ही इसे अपनाने लगे हैं।

ये बदलाव पहले की समस्याओं को दूर करेंगे, जहां महीनों की देरी और कोर्ट के चक्कर आम थे। अब Nominee vs Legal heir in bank account का अंतर समझना और भी महत्वपूर्ण हो गया है।

अब सिर्फ 3 दस्तावेज में पूरा होगा क्लेम

अगर मृतक खाताधारक के खाते में पहले से नॉमिनी दर्ज है या खाता ज्वाइंट अकाउंट के रूप में है, तो अब क्लेम के लिए केवल ये 3 दस्तावेज ही काफी होंगे:

  1. बैंक का क्लेम फॉर्म
  2. मृत्यु प्रमाणपत्र (Death Certificate)
  3. नॉमिनी/ज्वाइंट अकाउंट होल्डर का वैध पहचान पत्र
इन दस्तावेजों के आधार पर बैंक को तुरंत क्लेम प्रोसेस करना होगा।

RBI का नियम: मृतक ग्राहकों के दावों का निपटान बैंक 15 दिनों के अन्दर करें

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों को सख्त निर्देश दिए हैं कि मृतक ग्राहकों के बैंक खातों या लॉकर से जुड़े दावों को सिर्फ 15 दिनों के अंदर सुलझाया जाए। इस कदम का उद्देश्य परिवारों को त्वरित राहत प्रदान करना और प्रक्रिया को सरल बनाना है। RBI ने इसके लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) विकसित करने का प्रस्ताव रखा है, जो सभी बैंकों पर लागू होगी।

केंद्रीय बैंक ने 'भारतीय रिजर्व बैंक (बैंकों के मृत ग्राहकों के संबंध में दावों का निपटान) निर्देश, 2025' का ड्राफ्ट सर्कुलर जारी किया है। इस पर 27 अगस्त तक जनता से सुझाव मांगे गए हैं। मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:

  • मानकीकृत फॉर्म और दस्तावेज: बैंकों को दावों के लिए स्टैंडर्ड फॉर्म अपनाने होंगे, जो सभी शाखाओं और वेबसाइट पर उपलब्ध होंगे। वेबसाइट पर जरूरी दस्तावेजों की लिस्ट और प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी भी डाली जाएगी।
  • समयसीमा का पालन: दावे से जुड़े सभी दस्तावेज मिलने के 15 कैलेंडर दिनों के अंदर निपटान करना जरूरी। लॉकर या जमा से संबंधित दावों के लिए भी यही नियम लागू।
  • नॉमिनी के लिए आसान प्रक्रिया: अगर नॉमिनी नामित है, तो सिर्फ क्लेम फॉर्म, मृत्यु प्रमाण-पत्र और नॉमिनी का वैध आईडी प्रूफ जमा करना होगा।
  • देरी पर मुआवजा: अगर बैंक की वजह से देरी होती है, तो दावेदार को ब्याज के रूप में компенса प्रदान किया जाएगा। यह विलंबित राशि पर बैंक की मौजूदा दर से कम से कम 4% अतिरिक्त होगा।
  • बिना नॉमिनी वाले मामलों में सुविधा: जहां नॉमिनी नहीं है, वहां बैंक अपनी जोखिम प्रबंधन नीति के आधार पर कम से कम 15 लाख रुपये तक के दावों को सरल प्रक्रिया से निपटाएंगे।
  • देरी के कारण बताना अनिवार्य: अगर समयसीमा का पालन नहीं होता, तो बैंक को दावेदार को वजह बतानी होगी।

यह अपडेट मृतक परिवारों की मुश्किलों को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण है, खासकर जब पहले महीनों की देरी आम थी। इससे बैंकिंग सिस्टम अधिक पारदर्शी और ग्राहक-अनुकूल बनेगा। अगर आपका कोई सवाल है या अधिक जानकारी चाहिए, तो RBI की आधिकारिक वेबसाइट चेक करें।

बैंकिंग और दस्तावेज़ संबंधी ज़रूरी जानकारी

बैंक खाता और लॉकर क्लेम निपटान प्रक्रिया

मृतक खाताधारक की मृत्यु के बाद बैंक क्लेम कैसे करें? RBI rules on death claim settlement के अनुसार, प्रक्रिया अब सरल है। यहां स्टेप-बाय-स्टेप गाइड:

नॉमिनी या सर्वाइवर क्लॉज वाले अकाउंट्स: अगर खाते में नामांकित व्यक्ति (Nominee) है या जॉइंट अकाउंट में सर्वाइवर क्लॉज है, तो बैंक की देनदारी का वैध निपटान माना जाएगा। क्लेम करने के लिए:

  • क्लेम फॉर्म जमा करें।
  • मृत्यु प्रमाणपत्र (Death Certificate)।
  • नामांकित व्यक्ति का वैध आईडी/एड्रेस प्रूफ। कोई कानूनी दस्तावेज जैसे उत्तराधिकार प्रमाणपत्र या वसीयत की जरूरत नहीं। नामांकित व्यक्ति लीगल हेयर्स के लिए ट्रस्टी की तरह काम करता है, न कि अकेला मालिक।

बिना नॉमिनी वाले अकाउंट्स: यहां RBI ने सरलीकरण किया है। अगर कुल राशि थ्रेशोल्ड से कम है, तो सिंपल प्रक्रिया अपनाई जाएगी:

  • क्लेम फॉर्म।
  • डेथ सर्टिफिकेट।
  • लीगल हेयर डिक्लेरेशन।
  • इंडेम्निटी बॉन्ड (तीसरे पक्ष की गारंटी नहीं चाहिए)। थ्रेशोल्ड से ऊपर की राशि के लिए अतिरिक्त दस्तावेज जैसे उत्तराधिकारी प्रमाणपत्र या कोर्ट ऑर्डर जरूरी।

ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके: कई बैंक अब ऑनलाइन क्लेम सबमिशन और ट्रैकिंग की सुविधा देंगे। ऑफलाइन के लिए ब्रांच विजिट करें।

क्लेम टाइप जरूरी दस्तावेज समयसीमा
नॉमिनी वाला अकाउंट क्लेम फॉर्म, डेथ सर्टिफिकेट, ID प्रूफ 15 दिन
बिना नॉमिनी (थ्रेशोल्ड तक) क्लेम फॉर्म, डेथ सर्टिफिकेट, लीगल हेयर डिक्लेरेशन, इंडेम्निटी बॉन्ड 15 दिन
बिना नॉमिनी (थ्रेशोल्ड से ऊपर) ऊपर के + उत्तराधिकारी प्रमाणपत्र या कोर्ट ऑर्डर 15 दिन (दस्तावेज पूरे होने पर)

Nominee और Legal Heir में अंतर

कई लोग Nominee vs Legal heir in bank account को लेकर कंफ्यूज रहते हैं। RBI के नए नियमों में यह स्पष्ट है:

  • Nominee के अधिकार: नामांकित व्यक्ति बैंक से पैसा या सामान तुरंत निकाल सकता है, लेकिन वह लीगल हेयर्स के लिए ट्रस्टी है। मतलब, पैसा मिलने के बाद लीगल हेयर्स में बंटवारा होगा। कोई कानूनी दस्तावेज की जरूरत नहीं।
  • Legal Heir के अधिकार: अगर नॉमिनी नहीं है, तो लीगल हेयर्स (उत्तराधिकारी) क्लेम कर सकते हैं। लेकिन थ्रेशोल्ड से ऊपर के लिए उत्तराधिकार प्रमाणपत्र या वसीयत जरूरी। लीगल हेयर सर्टिफिकेट कब जरूरी है? जब राशि Rs 15 लाख से ज्यादा हो और कोई विवाद हो।

यह अंतर समझना जरूरी है, क्योंकि Cooperative bank claim settlement rules में थ्रेशोल्ड अलग है।

विभिन्न बैंकों में दावा निपटान सीमा

RBI ने बैंक टाइप के आधार पर थ्रेशोल्ड तय किया है, जहां बिना नॉमिनी क्लेम सरल तरीके से हो सकता है:

  • सहकारी बैंक (Cooperative Bank): Rs 5 लाख तक। इससे ऊपर अतिरिक्त दस्तावेज।
  • अन्य बैंक (प्राइवेट/पब्लिक सेक्टर): Rs 15 लाख तक, या बैंक द्वारा तय उच्च सीमा। इससे ज्यादा पर उत्तराधिकारी प्रमाणपत्र या कानूनी वारिस प्रमाणपत्र मांगा जा सकता है।

बैंकों को अपनी रिस्क मैनेजमेंट पॉलिसी के आधार पर उच्च सीमा तय करने की छूट है, लेकिन न्यूनतम ये ही हैं।

दावा निपटान में देरी होने पर मुआवज़ा

RBI compensation rules for delay in claim बहुत सख्त हैं:

  • डिपॉजिट क्लेम्स: देरी की अवधि के लिए मौजूदा बैंक रेट + 4% वार्षिक ब्याज। उदाहरण: अगर रेट 6% है, तो 10% मिलेगा।
  • लॉकर/आर्टिकल क्लेम्स: Rs 5,000 प्रति दिन।

बैंक को देरी की वजह लिखित में बतानी होगी। मुआवजा ऑटोमैटिक कैलकुलेट होगा, और बैंक की जिम्मेदारी है कि इसे समय पर दें। यह नियम बैंकों को तेजी से काम करने के लिए मजबूर करेगा।

बैंक खाता Nominee कैसे जोड़ें या बदलें?

बैंक खाता नामांकन (Nominee) नियम के तहत, हर खाते में नॉमिनी जोड़ना चाहिए। यहां स्टेप-बाय-स्टेप प्रक्रिया:

ऑनलाइन बैंकिंग में Nominee जोड़ना:

  • बैंक ऐप या वेबसाइट पर लॉगिन करें।
  • 'Services' या 'Nominee' सेक्शन में जाएं।
  • Nominee डिटेल्स (नाम, रिलेशन, ID) भरें।
  • OTP से वेरिफाई करें।

ब्रांच विज़िट करके Nominee बदलना:

  • ब्रांच में Nominee फॉर्म भरें।
  • ID प्रूफ और अकाउंट डिटेल्स जमा करें।
  • सिग्नेचर वेरिफाई करवाएं।

नॉमिनी बदलने के लिए कोई फीस नहीं, और यह तुरंत अपडेट होता है। हमेशा परिवार को बताएं कि नॉमिनी कौन है।

लॉकर Claim Settlement नियम

Bank locker nominee settlement process भी अब सरल है:

  • लॉकर का Nominee कैसे क्लेम करेगा: नॉमिनी क्लेम फॉर्म, डेथ सर्टिफिकेट, ID प्रूफ जमा करें। बैंक 15 दिनों में इन्वेंटरी करेगा, जिसमें लीगल हेयर्स, दो इंडिपेंडेंट विटनेस और बैंक ऑफिशियल्स मौजूद रहेंगे।
  • जरूरी दस्तावेज: वही जो अकाउंट क्लेम के लिए, प्लस लॉकर एग्रीमेंट अगर जरूरी हो।
  • लॉकर ऑपरेशन की प्रक्रिया: कंटेंट्स रिलीज बिना कोर्ट ऑर्डर के होगा, जब तक कोई विवाद न हो। मिसिंग पर्सन केस में FIR और पुलिस रिपोर्ट जरूरी।

आने वाले दिनों में और क्या-क्या होगा?

मल्होत्रा ने हिंट दिया कि अगले साल ब्याज दरों में कटौती हो सकती है, लेकिन ये महंगाई और दुनिया की हालत पर निर्भर करेगा। रेपो रेट 5.5% पर स्थिर रखने का फैसला आर्थिक संतुलन के लिए लिया गया है। साथ ही, माइक्रोफाइनेंस और असुरक्षित लोन की गुणवत्ता पर नजर रखी जा रही है, और जरूरत पड़ने पर कदम उठाए जाएंगे।

ये बदलाव न सिर्फ मृतक खातों से पैसे निकालने में मदद करेंगे, बल्कि गांव-गांव तक पैसा पहुंचाने और निवेश को बढ़ावा देने में भी बड़ा रोल निभाएंगे। तो तैयार रहें, ये कदम आपकी जिंदगी आसान बनाने वाला है!

नॉमिनी नहीं? फिर भी मिलेगा पैसा

अगर खाते में नॉमिनी नहीं है और न ही ज्वाइंट अकाउंट है, तो भी बैंक एक निश्चित सीमा तक रकम बिना ज्यादा दस्तावेज के दे सकेंगे। यह सीमा कम से कम 15 लाख रुपये होगी।

  • 15 लाख से ज्यादा के क्लेम पर कानूनी दस्तावेज जैसे उत्तराधिकारी प्रमाणपत्र या कोर्ट का आदेश जरूरी होगा।
  • मृतक के नाम आने वाले भविष्य के भुगतान (जैसे पेंशन, ब्याज) के लिए परिवार से सहमति पत्र भी लिया जा सकेगा।

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फिक्स्ड डिपॉजिट पर भी बदलाव

RBI ने बैंकों को निर्देश दिया है कि खाते खोलते समय यह स्पष्ट किया जाए कि खाताधारक की मृत्यु होने पर फिक्स्ड डिपॉजिट समय से पहले तोड़ा जा सकता है, चाहे वह लॉक-इन अवधि में हो। इससे परिवार को तुरंत आर्थिक मदद मिल सकेगी।

RBI के अन्य बड़े ऐलान

  • सरकारी सिक्योरिटीज में निवेश आसान: अब खुदरा निवेशक रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म के जरिए ट्रेजरी बिल में SIP के माध्यम से निवेश कर सकेंगे।
  • वित्तीय समावेशन अभियान: सभी बैंकों को ग्रामीण पंचायतों में कैंप लगाकर नए जनधन खाते खोलने और KYC अपडेट करने के निर्देश।
  • ब्याज दरें स्थिर: RBI ने रेपो रेट में बदलाव नहीं किया, लेकिन अगले साल दरों में कटौती का संकेत दिया।

क्यों है ये बदलाव जरूरी?

पहले मृतक खाताधारक के खाते या लॉकर का क्लेम करने में महीनों लग जाते थे और कई बार परिवार को कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ते थे। RBI का यह कदम लाखों परिवारों को तेजी से आर्थिक राहत दिलाने में मदद करेगा, खासकर आपात स्थितियों में।

आप क्या करें?

  • अपने बैंक खाते में नॉमिनी जरूर जोड़ें।
  • जरुरी डॉक्युमेंट्स और वसीयत (Will) तैयार रखें।
  • परिवार को बताएं कि ये कागजात कहां सुरक्षित रखे हैं।

निष्कर्ष:

RBI का नया नियम बैंकिंग सिस्टम को और पारदर्शी व आसान बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अब मृतक के परिवार को पैसा पाने के लिए लंबी कानूनी प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा और सिर्फ 3 दस्तावेजों में क्लेम निपट जाएगा।

सरकारी योजनाओं और घोटालों पर रिपोर्ट

FAQ

क्या बिना Nominee के क्लेम हो सकता है?

हां, थ्रेशोल्ड तक (Rs 5-15 लाख) सिंपल प्रक्रिया से। ऊपर के लिए लीगल दस्तावेज चाहिए।

कितना समय लगता है क्लेम में?

RBI 15 दिन में दावा निपटान का नियम है, दस्तावेज पूरे होने पर।

क्या मुआवज़ा ऑटोमैटिक मिलेगा?

हां, बैंक कैलकुलेट करके देगा अगर देरी उनकी वजह से हो।

कौन-कौन से डॉक्यूमेंट जरूरी हैं?

मुख्य: क्लेम फॉर्म, डेथ सर्टिफिकेट, ID प्रूफ। बिना नॉमिनी में इंडेम्निटी बॉन्ड और लीगल हेयर डिक्लेरेशन।

ये नए नियम लाखों परिवारों को राहत देंगे। अगर आपके ब्लॉग पर पहले से बैंकिंग पोस्ट हैं, जैसे 'मृतक के आधार कार्ड कैसे बंद करें' या 'पेंशन योजनाएं', तो उनसे लिंक करें। अधिक जानकारी के लिए RBI की ऑफिशियल वेबसाइट चेक करें। अगर कोई सवाल हो, कमेंट में पूछें!

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