शैलपुत्री माता मंत्र: नवरात्रि पहले दिन जाप, लाभ और पूजा विधि

नवरात्रि का पावन पर्व, जो मां दुर्गा की नौ स्वरूपों की पूजा का उत्सव है, हर साल लाखों भक्तों के लिए आध्यात्मिक उमंग और भक्ति का समय लेकर आता है। वर्ष 2025 में शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर 2025 से शुरू हैं, नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। यह दिन न केवल भक्ति और शक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत भी है। इस लेख में हम शैलपुत्री माता मंत्र, उनकी कथा, पूजा विधि, आरती, रंग और महत्व के बारे में जानेंगे।

शैलपुत्री माता मंत्र: नवरात्रि पहले दिन जाप, लाभ और पूजा विधि

मां शैलपुत्री कौन हैं? उनकी पौराणिक कथा

मां शैलपुत्री मां दुर्गा का प्रथम स्वरूप हैं, जिन्हें पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में जाना जाता है। संस्कृत में "शैल" का अर्थ पर्वत और "पुत्री" का अर्थ बेटी है, इसीलिए इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। इन्हें वृषारूढ़ा (नंदी बैल की सवारी करने वाली), पार्वती, हेमवती, और सती भवानी जैसे नामों से भी जाना जाता है।

मां शैलपुत्री की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां शैलपुत्री का पूर्व जन्म सती के रूप में था, जो प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं। सती ने भगवान शिव से विवाह किया, लेकिन दक्ष इस विवाह से सहमत नहीं थे। एक बार दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया, लेकिन भगवान शिव और सती को निमंत्रण नहीं दिया। सती ने फिर भी यज्ञ में जाने का फैसला किया। वहां पहुंचने पर दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया, जिसे सती सहन नहीं कर सकीं। क्रोध और दुख में उन्होंने यज्ञ की अग्नि में अपने शरीर को भस्म कर दिया।

इसके बाद, सती ने हिमालय के घर में पार्वती के रूप में जन्म लिया, जिन्हें शैलपुत्री कहा गया। इस जन्म में भी उन्होंने भगवान शिव से विवाह किया और उनकी अर्धांगिनी बनीं। यह कथा हमें साहस, समर्पण और पुनर्जनन की शक्ति सिखाती है।

नवरात्रि के प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की पूजा विधि

नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना या घटस्थापना से होती है, जिसे देवी का आवाहन करने के लिए किया जाता है। यहाँ हम माँ शैलपुत्री की पूजा के लिए एक सरल और संपूर्ण विधि बता रहे हैं:

सामग्री

  • मिट्टी का कलश, आम या अशोक के पत्ते, कच्चा नारियल, गंगाजल, हल्दी, अक्षत (चावल), सुपारी।
  • सात प्रकार के अनाज, मिट्टी का घड़ा, जौ।
  • रोली, कुमकुम, धूप, दीप, घी, अगरबत्ती।
  • सफेद रंग के पुष्प (जैसे चमेली या गुड़हल), सफेद मिठाई या खीर।

पूजा करने का तरीका

  1. स्थान की शुद्धि: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें।
  2. कलश स्थापना: एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। उस पर जौ और मिट्टी रखें, फिर कलश को स्थापित करें। कलश में जल, अक्षत, सुपारी, और सिक्के डालें। उसके बाद आम के पत्तों से सजाकर ऊपर नारियल रखें।
  3. माता का आवाहन: अब माँ शैलपुत्री की तस्वीर या प्रतिमा को स्थापित करें। उन्हें लाल वस्त्र और श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें।
  4. पूजा-अर्चना: माता को सफेद चंदन, सफेद फूल और मिठाई का भोग लगाएं। इसके बाद धूप और दीप जलाकर आरती करें और शैलपुत्री मंत्र का जाप करें।
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शैलपुत्री माता मंत्र: शक्ति और शांति का स्रोत

शैलपुत्री माता मंत्र भक्तों के लिए आध्यात्मिक और मानसिक शांति का स्रोत है। यह मंत्र मूलाधार चक्र को जागृत करता है, जो स्थिरता और आत्मविश्वास का आधार है। नवरात्रि के पहले दिन इस मंत्र का जाप करने से चंद्र ग्रह के दोषों का निवारण होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

मुख्य मंत्र

  • ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
    (Om Devi Shailaputryai Namah॥)
    अर्थ: इस मंत्र का अर्थ है "मैं मां शैलपुत्री को नमस्कार करता हूं।" यह मंत्र साधक को उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करता है।
  • प्रार्थना मंत्र:
    वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
    (Vande Vanchhitalabhaya Chandrardhakritashekharam। Vrisharudham Shuladharam Shailaputrim Yashasvinim॥)
    अर्थ: "मैं मां शैलपुत्री की वंदना करता हूं, जो चंद्रमा से सुशोभित मस्तक वाली, नंदी पर सवार, त्रिशूल धारण करने वाली और यशस्वी हैं।"

मंत्र जाप की विधि

  1. स्नान और शुद्धता: सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थल: पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और मां शैलपुत्री की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  3. माला: रुद्राक्ष या स्फटिक की माला से मंत्र जाप करें।
  4. संख्या: कम से कम 108 बार मंत्र जप करें। अधिक प्रभाव के लिए 1,008 या 10,008 बार जप कर सकते हैं।
  5. ध्यान: जाप के दौरान मन को मूलाधार चक्र (कमर के नीचे) पर केंद्रित करें।

मंत्र जाप के लाभ

  • चंद्र दोष निवारण: मां शैलपुत्री चंद्र ग्रह की अधिष्ठात्री हैं। उनका मंत्र जाप करने से मानसिक अशांति और चंद्र दोष दूर होते हैं।
  • आध्यात्मिक जागरण: मूलाधार चक्र को सक्रिय करता है, जो आत्मविश्वास और स्थिरता बढ़ाता है।
  • सुख-समृद्धि: मां की कृपा से वैवाहिक जीवन, करियर और स्वास्थ्य में स्थिरता आती है।
  • नकारात्मकता दूर: नकारात्मक ऊर्जा और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है।

शैलपुत्री माता की आरती

शैलपुत्री माता की आरती भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है। इसे पूजा के अंत में गाना चाहिए ताकि मां की कृपा प्राप्त हो।

आरती लिरिक्स:
शैलपुत्री मां बैल असवार, करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी, तेरी महिमा किसी ने न जानी।
पार्वती तू उमा कहलावे, जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू, दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी, आरती जिसने तेरी उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो, सगरे दुख तकलीफ मिटा दो।
घी का सुंदर दीप जला के, गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं, प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी अंबे, शिव मुख चंद चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो, भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।

टिप: आरती गाते समय घी का दीपक जलाएं और मां को सफेद फूल (जैसे चमेली) या लाल हिबिस्कस चढ़ाएं।

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शैलपुत्री माता का रंग और महत्व

नवरात्रि के पहले दिन का रंग सफेद है, जो शुद्धता, शांति और सरलता का प्रतीक है। मां शैलपुत्री को सफेद रंग अत्यंत प्रिय है, क्योंकि यह उनके शांत और स्थिर स्वरूप को दर्शाता है। कुछ मान्यताओं में लाल रंग भी जोड़ा जाता है, क्योंकि यह शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक है।

  • क्यों खास है सफेद रंग?
    सफेद रंग मां शैलपुत्री के मूलाधार चक्र से जुड़ा है, जो स्थिरता और आधार प्रदान करता है। भक्तों को इस दिन सफेद वस्त्र पहनने और पूजा में सफेद फूल, खीर या बर्फी का भोग लगाने की सलाह दी जाती है।
  • महत्व: मां शैलपुत्री प्रकृति की साक्षात् मूर्ति हैं। उनकी पूजा से जीवन में स्थिरता, साहस और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
शैलपुत्री माता मंत्र: नवरात्रि पहले दिन जाप, लाभ और पूजा विधि

शैलपुत्री माता की पूजा विधि और सामग्री

नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना (कलश स्थापना) के साथ मां शैलपुत्री की पूजा शुरू होती है। यह पूजा विधि सरल लेकिन प्रभावशाली है।

पूजा सामग्री

सामग्री उपयोग
मिट्टी का कलश गंगाजल और सिक्के डालने के लिए
सात प्रकार के अनाज सातमृतिका और जवारा बोने के लिए
गंगाजल शुद्धिकरण के लिए
आम या अशोक के पत्ते कलश सजाने के लिए
नारियल कलश के ऊपर रखने के लिए
लाल कपड़ा/कलावा कलश और मूर्ति सजाने के लिए
फूल (सफेद/लाल) चमेली, हिबिस्कस
घी का दीया पूजा के लिए
धूपबत्ती सुगंध के लिए
प्रसाद खीर, बर्फी, फल

पूजा विधि

  1. स्नान और शुद्धिकरण: सुबह जल्दी स्नान करें और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
  2. कलश स्थापना: मिट्टी के बर्तन में सात प्रकार की मिट्टी और अनाज डालें। ऊपर गंगाजल छिड़कें। कलश में गंगाजल, सिक्के, सुपारी, और अक्षत डालें। पांच आम के पत्ते कलश के मुंह पर रखें और नारियल से ढक दें।
  3. मूर्ति/चित्र स्थापना: मां शैलपुत्री की मूर्ति या चित्र को लाल कपड़े पर स्थापित करें।
  4. पूजा: घी का दीया जलाएं, धूप दिखाएं, और फूल चढ़ाएं। मंत्र जाप करें (ऊपर दिए गए मंत्र)।
  5. भोग: मां को खीर, बर्फी या फल का भोग लगाएं।
  6. आरती: शैलपुत्री माता की आरती गाएं और पूजा समाप्त करें।
  7. व्रत: यदि व्रत रख रहे हैं, तो सात्विक भोजन (जैसे फल, साबूदाना) से व्रत तोड़ें।

शुभ मुहूर्त (22 सितंबर 2025):

  • मुख्य मुहूर्त: सुबह 6:27 से 8:16 बजे
  • अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:07 से 12:55 बजे

शैलपुत्री माता का आध्यात्मिक महत्व

मां शैलपुत्री मूलाधार चक्र की अधिष्ठात्री हैं, जो शरीर और मन की नींव है। इस चक्र को जागृत करने से:

  • स्थिरता: जीवन में आत्मविश्वास और स्थिरता बढ़ती है।
  • आध्यात्मिक प्रगति: साधक की आध्यात्मिक यात्रा शुरू होती है, जो उन्हें सहस्रार चक्र (शिव) तक ले जाती है।
  • स्वास्थ्य: मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

मां शैलपुत्री की पूजा नवरात्रि की शुरुआत में इसलिए की जाती है क्योंकि यह जीवन की नींव को मजबूत करती है। उनकी कृपा से भक्त अपने लक्ष्यों को दृढ़ता और साहस के साथ प्राप्त करते हैं।

नवरात्रि दिन 1: एक नजर में

विवरण जानकारी
देवी मां शैलपुत्री
प्रथम व्रत माता शैलपुत्री
रंग सफेद (शांति और शुद्धता)
मंत्र ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः
वाहन नंदी (वृषभ)
हथियार/प्रतीक त्रिशूल, कमल
लाभ चंद्र दोष निवारण, शांति, सौभाग्य, स्थिरता

शैलपुत्री माता मंत्र: नवरात्रि पहले दिन जाप, लाभ और पूजा विधि

मां शैलपुत्री की छवि और प्रतीकात्मकता

मां शैलपुत्री को नंदी बैल पर सवार, दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल लिए हुए दर्शाया जाता है। उनके मस्तक पर अर्धचंद्र सुशोभित है, जो चंद्र ग्रह से उनके संबंध को दर्शाता है। उनकी छवि (maa shailputri images) शक्ति और शांति का अद्भुत संगम है। त्रिशूल इच्छाशक्ति, क्रिया और ज्ञान का प्रतीक है, जबकि कमल शुद्धता और आध्यात्मिक जागरण को दर्शाता है।

नोट: इस लेख में हम shailputri mata images का केवल वर्णन कर रहे हैं, क्योंकि यह एक टेक्स्ट-बेस्ड ब्लॉग है। आप चाहें तो मां की मूर्ति या चित्र पूजा के लिए उपयोग कर सकते हैं।

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निष्कर्ष: मां शैलपुत्री की कृपा से शुरू करें नवरात्रि

मां शैलपुत्री नवरात्रि के पहले दिन की शक्ति हैं, जो हमें स्थिरता, साहस और शांति प्रदान करती हैं। उनके मंत्र, आरती और पूजा विधि से आप अपनी आध्यात्मिक यात्रा को मजबूत कर सकते हैं। शैलपुत्री माता मंत्र का जाप करें, उनकी कथा पढ़ें, और सफेद रंग को अपनाकर उनकी कृपा प्राप्त करें।

क्या आप इस नवरात्रि मां शैलपुत्री की पूजा करने जा रहे हैं? नीचे कमेंट में अपने अनुभव या पूजा की योजनाएं शेयर करें। अगर आपको यह लेख पसंद आया, तो इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें ताकि वे भी मां की कृपा प्राप्त कर सकें।

जय मां शैलपुत्री!

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